VigyapanSuchana

September 1982

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कल्प साधना एवं युग शिल्पी सत्रों के अतिरिक्त नये लेखन सत्र का शुभारम्भ-नव सृजन के युग शिल्पियों को परिष्कृत, परिपक्व एवं प्रवीण करने की दृष्टि से इन दिनों शान्ति कुञ्ज में कई महत्वपूर्ण शिक्षण सत्रों का उपक्रम चल रहा है। कल्प साधना सत्रों में शारीरिक मानसिक परिशोधन तथा आत्मिक परिष्कार के लिए जो आवश्यक है उसका समावेश करके प्रयत्न को समग्र बनाने का प्रयत्न किया गया है।

युग शिल्पी सत्रों में वाणी को सुखद करने और उस आधार पर लोक मानस की गहराई में युग चेतना को उतारना लक्ष्य है। भाषण कला-सम्भाषण कौशल, सरल संगीत एवं आसन प्राणायाम, जड़ी-बूटियों पर आधारित स्वास्थ्य सम्बोधन, रोग निवारण आदि के कई महत्वपूर्ण विषयों का उसमें समुचित समावेश है। यह दोनों ही सत्र उत्साहपूर्वक वातावरण में सन्तोषजनक सफलता के चल रहे हैं। दोनों ही एक-एक महीने के है। पहली तारीख से आरम्भ होकर 30 तक चलते हैं।

अब इस शृंखला में एक-तीसरे सत्र का शुभारम्भ किया गया है-वह है एक महीने का लेखन सत्र । वाणी की तरह लेखनी का भी युग चेतना को व्यापक बनाने के लिए समान रूप से प्रयोग होना चाहिए जागृत लोक मानस की बौद्धिक भूख बुझाने और परिवर्तन का स्वरूप उद्देश्य एवं प्रतिफल समझने समझाने के लिए अगले दिनों लेखनी को भी महती भूमिका निभानी पड़ेगी। इसके लिए सुयोग्य प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करना भी इन्हीं दिनों आवश्यक हो गया है। ग्रेजुएट स्तर की शिक्षा प्राप्त, अध्ययन में गहरी रुचि रखने वाले छात्र ही इसमें प्रवेश पा सकेंगे। यह सत्र भी हर महीने 1 से 30 तक चलेंगे। शिक्षा निःशुल्क है। अन्य सत्रों की तरह भोजन व्यय इन कक्षाओं के क्षात्नों को स्वयं ही वहन करना होता है जिन्हें रुचि हो आवेदन पत् मँगा लें और भरकर भेजें। स्वीकृति प्राप्त होने के उपरान्त ही आने की तैयारी करनी चाहिए।


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