स्वप्न सार्थक भी होते हैं!

September 1982

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इसमें सन्देह नहीं कि स्वप्नों का अधिकाँश भाग निरर्थक होता है। सोते समय जो चित्र-विचित्र दृश्य दीखते, विचार उठते और भाव उभरते हैं उनकी तर्क, तथ्य के साथ संगति नहीं बैठती। कोई कारण समझ में नहीं आता कि जाने− अनजाने सन्दर्भ लेकर यह बिना पैसे का सिनेमा कौन दिखाता है और किस लिए दिखाता है। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए चिरकाल से प्रयत्न चलता रहा है, पर अभी तक कोई सार गर्भित निष्कर्ष निकल नहीं सका। स्वप्न फल बताने वाले रहस्यवादी कुछ तुक तो बिठाते रहे हैं, पर अभी तक कोई ऐसी सुनिश्चित संगति बैठी नहीं, जिसके आधार पर स्वप्नों की सही समीक्षा या विवेचना की जा सके। अपच की उत्तेजना, अर्धनिद्रा, परिण, विक्षुब्ध मानस की बाल क्रीड़ा स्मृति भण्डार की झाड़-बुहार जैसे कुछ कारण मनोवैज्ञानिक बताते तो हैं, पर इन प्रतिपादनों से न तो वे स्वयं ही सन्तुष्ट हैं और न विश्वास पूर्वक जिज्ञासुओं का समाधान कर सकने में ही समर्थ हैं।

अनिश्चितता का असमंजस रहते हुए भी कुछ तथ्य ऐसे हैं जो यह दबाव डालते हैं कि इसे भ्रम-जंजाल ही नहीं मानते रहना चाहिए, वरन् गहराई में उतर कर यह पता लगाना चाहिए कि स्वप्नों में कुछ सार होता है क्या? वे प्रत्यक्ष जीवन में किसी प्रकार सहायक समाधानपरक हो सकते हैं क्या? इस पक्ष के पास बहुत कुछ ऐसे कारण प्रमाण विद्यमान हैं जो कहते हैं कि सभी न सही, कुछ स्वप्नों में उपयोगी सार संक्षेप छिपा रहता है। उतने भर को भी यदि समझा और काम में लाया जा सके तो इससे मानवी सुविधा, सन्तुष्टि, प्रगति और सम्भावना में उत्साहवर्धक कड़ियाँ जुड़ सकती हैं।

स्वप्नों में सारगर्भित अंश भी विद्यमान है, भले ही वह थोड़ा-सा ही क्यों न हो, भले ही वह यदा-कदा ही दृष्टिगोचर क्यों न होता हो। उनमें से कुछ के द्वारा अपनी वर्तमान शारीरिक मानसिक स्थिति को समझने में सहायता मिल सकती है। निदान उपलब्ध हो तो उपचार सरल पड़ता है इसे सभी जानते हैं। स्वप्नों के सहारे मनःस्थिति ही नहीं, परिस्थिति का विश्लेषण वर्गीकरण करने में सहायता मिल सकती है। इतना ही नहीं उनमें भविष्य दर्शन कराने वाले, भवितव्यता का पूर्वाभास देने वाले तथ्य भी जुड़े रहते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि वे दिव्य-लोक के बहने वाले प्रवाह तक जा पहुँचते हैं और उस धारा के हाथ बहते हुए उस ओर चल पड़ते हैं जिस ओर चलने के लिए आत्म विज्ञानियों को शोध परिष्कार के लिए कठिन योग तप का आश्रय लेना पड़ता है।

बाइबिल में वर्णित ‘गाँस्पेल आँफ सैंट मैथ्यू’ के अनुसार यीशु के पिता जोसेफ को जब इस बात की जानकारी मिली कि उसकी अविवाहिता पत्नी मेरी तुरन्त ही एक बच्चे की माँ बनने वाली है तो उसे बड़ा धक्का लगा और उसने अपनी पत्नी को त्याग देने का निश्चय किया। जब वह ऐसा सोच रहे थे उसी समय एक दिन रात में सोते समय उन्हें स्वप्न में एक देवदूत दिखा। वह बोला “ओ डेविड के पुत्र! तुम मेरी को अपने साथ रखने में डरो मत। तो तुम्हारा सौभाग्य होगा। क्योंकि उसके गर्भ से परम पवित्र आत्मा ईसा का जन्म होगा। उस पुत्र का नाम जीसस रखा जाएगा। यही सब मनुष्यों को पाप से बचायेगा।”

उस समय के क्रूर यहूदी राजा हेरोड के खोफ से जीसस को बचाने के लिए जोसेफ को फिर स्वप्न में देवदूत आया और संकेत दिया कि बच्चे को लेकर मिस्र चले जाओ। इसी प्रकार यीशु से मिलने के लिए तीन प्रज्ञा पुरुष आये थे। उन्हें भी रात्रि में स्वप्न के माध्यम से देवदूतों ने कहा कि-हेरोड को जीसस के जन्म की भनक दिये बिना ही आप लोग चुपचाप यहाँ से प्रस्थान कर जायें।”

कुछ वर्षों बाद हेरोड की मृत्यु हो जाने पर जोसेफ को स्वप्न के माध्यम से देवदूतों द्वारा बताया गया कि आप वापस इज़राइल लौट आयें। लेकिन आते समय अपना रास्ता बदलकर आयें तथा हेरोड की राजधानी में नहीं अपितु गैलीली नामक स्थान में अपना निवास बनायें।

इजराइल पहुँचने पर देवदूतों ने बताया कि रहने के लिए सर्वाधिक निरापद स्थान गैलीली ही है। उन दिनों अविवाहित संतान को अवांछनीय माना जाता था और राजा से लेकर धर्माध्यक्ष तक सभी ऐसे प्रसंगों में कठोर क्रूरता का परिचय देते थे। ईसा का जन्म ऐसी विपत्ति से जुड़ा हुआ था इसलिए देवदूतों को उसकी सुरक्षा के उपाय इस प्रकार दिव्य स्वप्नों के माध्यम से बनाने पड़े। जो बाद में बहुत ही सही और उपयोगी सिद्ध हुए।

बुद्ध के जन्म के समय उनकी माता माया ने अपने एक सांकेतिक स्वप्न के बारे में अपने पति शुद्धोधन को बताया—

“बरफ या चाँदी जैसा शुक्र, सूर्य और चन्द्र से भी अधिक तेजस्वी, वज्र सदृश छह दाँतों वाला हाथी मेरे गर्भ में प्रवेश कर गया। इस सांकेतिक स्वप्न को मुझे समझना है। ज्योतिषियों को बुलाया गया। उनने बताया कि-आपके गर्भ से एक ऐसे महाप्रतापी पुरुष का जन्म होगा जो अपने करुणा और त्याग से सब राजाओं का राजा और सब इच्छाओं का परित्यागी भ्रमणशील सन्त होगा।”

इस्लाम धर्म में भी स्वप्न के माध्यम से अनेक चमत्कारी घटनाओं का वर्णन है। पहली बात तो यह है कि कुरान का सन्देश भी खुदा ने मुहम्मद साहब को स्वप्न में ही दिया था। दूसरे एक स्वप्न के अनुसार उन्हें मक्का से भागते समय बताया गया कि-डरो मत। तुम फिर यहीं बसोगे तथा यहीं से इस्लाम का प्रसार-विस्तार होगा। पैगम्बर को भी स्वप्नों पर बहुत भरोसा था और इस्लाम के प्रारम्भिक साहित्य में हजरत की रात्रि चर्या के सम्बन्ध में चौदह अध्यात्म लिखे गये हैं जिनमें दृष्टिगोचर हुए स्वप्नों के रहस्य का सविस्तार वर्णन है। पैगम्बर साहब स्वप्नों के इतने प्रभावित थे कि अपने अनुयायियों से प्रायः पूछते थे कि आज रात में तुम्हें कैसा स्वप्न आया।

इतिहास से सम्बन्धित प्रमुख व्यक्ति यों के बारे में भी स्वप्न की अनेक घटनाएँ बतायी जाती हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं—

प्रथम विश्व-युद्ध के तृतीय वर्ष में जर्मन सेना में हिटलर एक वरिष्ठ अधिकारी था। बावेरिया प्रदेश और फ्राँस की सीमा पर उसे तैनात किया गया था। एक रात्रि को उसे स्वप्न आया कि ‘एक विस्फोट के कारण उसकी छावनी तहस-नहस हो जाती है और पिघला हुआ लोहा उसके चारों ओर उड़ रहा है। बहता हुआ खून उसकी छाती को स्पर्श कर रहा है। जगने पर उसने देखा कि कहीं कुछ ऐसी घटना नहीं घटी थी। सब कुछ शान्त था। फिर भी उसके अचेतन मन ने उसे सचेत कर दिया था। अतः वह अपनी छावनी छोड़ दुश्मन की छावनी की ओर भागने लगा। तभी उसके अंतर्मन से चेतावनी आई कि वहाँ जाने की बेवकूफी क्यों कर रहे हो? दुश्मन तुम्हें गोलियों से भून डालेंगे। परन्तु इसके बावजूद भी वह किसी अदृश्य शक्ति से खिंचा हुआ वह अपनी छावनी से काफी दूर निकल गया। ज्यों-ही उसने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि सपना सत्य बन चुका था। दुश्मन की गोलाबारी से छावनी तथा उसके आस-पास को सभी व्यक्ति यों, वस्तुओं का सफाया हो चुका था। बच रहा केवल अकेला वही हिटलर। उसे आगे भी तो अभी और बहुत कुछ पापड़ बेलने शेष थे। फ्राँस के प्रसिद्ध दार्शनिक और गणित वेत्ता रेने डेस्कार्टेस जितने आधुनिक वैज्ञानिक युग के सिद्धान्त उसकी कार्यपद्धति और मूलभूत दर्शन का प्रतिपादन किया। एक स्वप्न में मिली प्रेरणा का ही प्रतिफल समझा जा सकता है। अपनी व्यक्ति गत, पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक समस्याओं तथा पत्नी व सम्बन्धियों की जटिल परिस्थितियों के बीच यह समझ नहीं आ रही थी कि आखिर क्या किया जाय। उसी समय 10 नवम्बर 1619 की रात को उसे तीन स्वप्न आये। इनमें से पहले दो तो परिवार एवं घरेलू प्रसंगों से सम्बन्धित थे। अन्तिम स्वप्न में उसको निर्देश दिया गया कि सत्य के अन्वेषण के लिए गणित सब विज्ञानों का खजाना है। गणितीय पद्धति के विकास में जीवन समर्पित करने की प्रेरणा इस स्वप्न के माध्यम से उन्हें प्राप्त हुई। इस स्वप्न के बाद उसने अपना सम्पूर्ण जीवन उस उद्देश्य में ही लगाया और एक ऐसा दर्शन-शास्त्र का विस्तार किया जो विज्ञान के दृष्टिकोण से बुद्धिगम्य हो और धार्मिक गूढ़ तत्वों का समन्वय करता हो। जिस दर्शन से पश्चिमी दुनिया विगत तीन सौ वर्षों से प्रभावित रही है। यह एक पहेली ही है कि यदि वह स्वप्न न आया होता तो उसकी जीवन-दिशा क्या होती?

इसी प्रकार कई लेखक कलाकार, कवि, विज्ञानी एवं आविष्कर्ताओं ने अपने मौलिक विचार, बेधक दृष्टि और सूझ-बूझ अपने-अपने जीवन में स्वप्नों के संकेत के माध्यम से पाया है।

प्रसिद्ध जर्मन रसायनविद् केकुले ने बैंजिन के सूत्र का आविष्कार करके जैव रसायन में क्रान्ति मचा दी। यह जानकारी उन्हें एक स्वप्न के माध्यम से प्राप्त हुई। जब वह अपने अनुसंधान कार्य को करते-करते अपनी प्रयोगशाला में निराश बैठे थे। ठंड से बचने के लिए सिगड़ी को कुर्सी के नजदीक खींच लिया। आराम महसूस होने पर उन्हें झपकियाँ आने लगीं। नींद में एक स्वप्न आया। “रासायनिक सूत्रों के परमाणु नृत्य करने लगे और जैसे साँप टेढ़ी-मेढ़ी लकीर बनाता है उसी प्रकार नाचने लगे। थोड़ी देर में एक साँप ने अपनी पूँछ मुँह में ले ली।” जैसे ही यह स्वप्न दीखा यह स्फुरणा जगी कि रासायनिक सूत्र को एक सीधी लकीर में लिखने की अपेक्षा क्यों न बहुमितिक बहुकोणीय आकारों में लिखा जाय? इसी परिकल्पना के आधार पर सूत्र बनाने की उनने अपनी कार्य पद्धति बनाई और अप्रत्याशित सफलता पाई।

परमाणुओं के परिभ्रमण की रचना की जानकारी देने पर नेल्स बोर को नोबुल पुरस्कार मिला था। उस जानकारी ने बीसवीं सदी में विज्ञान जगत में हाइड्रोजन परमाणुओं के संदर्भ में क्रान्ति उत्पन्न कर दी। 1913 में नेल्स बोर को एक स्वप्न के माध्यम से इस थ्योरी का संकेत मिला था।

स्वप्न विशेषज्ञ विज्ञान वेत्ता मनोविज्ञानी वार्सिली निकोलायेविच कासात्किन का कहना है कि-सपने बीमारियों की भी सूचना देते है।” उनने अपनी जानकारी को कुछ घटनाओं का उल्लेख किया है। एक प्रसंग प्रस्तुत करते हुए वे कहते हैं-एक लड़के को कई रातों से यह स्वप्न आ रहा था कि वह किसी अजगर की चपेट में आ गया है तथा उसके कसान से उसका सारा शरीर दर्द करने लगता है। कुछ दिनों बाद वह सचमुच से बीमार हो गया। जाँच करने वाले डाँक्टर ने कहा कि तुम्हें कोई रोग नहीं है। फिर भी, एक साल के अन्दर ही उसकी रीढ़ की हड्डी में भयंकर व्रण हो गया।

“एक महिला को स्वप्न में ऐसा लगता था मानो वह मिट्टी के दबाव से दबी जा रही है तथा उसकी साँस बेतरह घुट रही है। डाँक्टर से जाँच कराने पर किसी रोग का पता नहीं चला लेकिन दो माह बाद जाँच कराने पर उसे ट्यूबर कुलोसिस का मरीज पाया गया।” “इसी प्रकार एक महिला को स्वप्न में दम घुटने जैसा अनुभव उसके फेफड़े की टी. वी. का पूर्वाभास देता था।”

डाँ. कासात्किन का कहना है कि हमारे मस्तिष्क की ऊपरी सतह में एक ड्रीम बैण्ड है जिसमें शरीर में होने वाले रोगी की पूर्व सूचना दिखाई पड़ती है। हमारे स्वस्थ शरीर की स्थिति में किसी प्रकार की सूक्ष्मतम गड़बड़ी भी यहाँ अंकित हो जाती है। यों स्वप्न तो हमेशा आते ही रहते हैं। वे अजीबों गरीबी भी हो सकते हैं। पर यदि एक ही तरह का स्वप्न बार-बार आता रहे तो समझना चाहिए कि उसमें किसी विशेष जानकारी के सूत्र सन्निहित होने की सम्भावना है।

स्वप्नों का विश्लेषण भी एक विज्ञान है। यदि उसका समुचित अनुसंधान हो सके तो किसी ऐसे निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है जो अनेक रहस्यों पर से पर्दा उठा सकने में समर्थ होने के कारण मनुष्य जाति के लिए असाधारण रूप से उपयोगी सिद्ध हो सके।


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