तपोहि परमं श्रेयः सम्मोहमितरत्सृखम्। –वाल्मीकि (71849)
तप (कष्ट सहिष्णुता) ही परम कल्याण को करने वाला होता है। तप से रहित जो सुख है वह तो बुद्धि के सम्मोहन को उत्पन्न करता है।