पास उसके ही सुखद-जीवन बिताने की कला है॥
जो किया करता उपेक्षा खंदकों वाली घुटन की। ओ नहीं परवाह करता, जो कसौटी की तपन की॥
र्स्वण बन संसार में वह धैर्यशाली ही ढला है। पास उसके ही सुखद जीवन बिताने की कला है॥
जो किया करता सतत् संघर्ष, पथ की उलझनों से। और भरता माँग जीवन की, अपेक्षित साधनों से॥
दर्प बाधा-विघ्न का उस आदमी ने ही दला है। पास उसके ही सुखद जीवन बिताने की कला है॥
हर सफलता के लिए व्यवधान आते राह में है। जोत उनको मिले आनन्द ऐसी चाह में हैं।
साहसी के मार्ग का हर विघ्न भय खाकर टला है। पास उसके ही सुखद जीवन बिताने की कला है॥
यों सुकृत कर जिन्दगी को जो मनुज सुन्दर बनाते। वे विवेकी और पुरुषार्थी सदा सम्मान पाते॥
आँधियों से जो लड़ा-दीपक सुबह तक वह जला है। पास उसके ही सुखद जीवन बिताने की कला है॥
यों करो कुछ और सबकी जिन्दगी सुन्दर बनाओ। प्यार की मृदु गन्ध वाले फूल उपवन में खिलाओ॥
जो जिया ऐसे, सही ढंग से वही समझो-पला है। पास उसके ही सुखद जीवन बिताने की कला है॥
—माया वर्मा रेणुका
*समाप्त*