नास्ति ध्यानं बिना ज्ञानं नास्ति ध्यानमयोगिनः। ध्या नं ज्ञानञ्च यस्यास्ति तीर्ण स्तेन भवार्णवः॥
ज्ञानं प्रसन्नमेकाग्रमशेषोपाधिवर्जितम्। योगाभ्यासेन युक्तस्य योगिंनस्त्वेव सिद्धयति-महायोग विज्ञान
ध्यान बिना ज्ञान नहीं होता। न ध्यान बिना योग सधता है। ध्यान और ज्ञान दोनों के सहारे भवसागर पार किया जाता है। ज्ञान और एकाग्रता से उपाधि वर्जित मन प्रसन्न रहता है और योग साधना से सिद्धि मिलती है।