यदि जीवाणु या अन्य कणों की मात्रा अत्यन्त अधिक हो इस सामान्य क्रिया को शरीर अन्य सामयिक तरीकों से बढ़ा देता है, इनमें से छींकना तथा खाँसना प्रमुख है। इन दोनों क्रियाओं द्वारा श्वास अत्यन्त वेग से बाहर फेंका जाता है, जिससे जीवाणु या विजातीय कणों युक्त धूल अन्दर प्रवेश न कर पाए। कितने वेग से शरीर इस बाह्य आक्रमण का विरोध करता है-इसका अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि खाँसी के समय बाहर निकलने वाली हवा की गति, ध्वनि की गति 360 मीटर प्रति सेकेण्ड के लगभग होती है।