प्रकृति का प्रत्येक घटक महत्वपूर्ण है और अपने में अनेकों प्रकार की संभावनाएँ समाहित किये हुए है। घटनाएँ विलक्षण, आश्चर्यजनक और रहस्यमय इसलिए प्रतीत होती हैं कि अनेक वे कारण एवं नियम नहीं मालूम होते जो उन्हें एक सुनिश्चित स्वरूप प्रदान करते हैं। प्राचीन काल से लेकर अब तक मनुष्य को प्रकृति की कितनी रहस्यमय घटनाओं का ज्ञान हुआ। जिन्हें कभी आश्चर्य और चमत्कार के रूप में देखा जाता था वे आज सहज जानकारी के विषय बने हुए हैं। आदिकाल में आग का ज्ञान नहीं था। किसी तरह कहीं जंगलों आदि में आग लग जाती थी तो आदिम कालीन मनुष्य यह मानता था कि यह किसी देवी या देवता के प्रकोप का प्रतिफल है। कालान्तर में अग्नि उत्पन्न करने का विज्ञान मालूम हुआ, तो मानवी सभ्यता के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति हाथ लग गयी।
बिजली की शक्ति प्रकृति के गर्भ में ही विद्यमान थी पर उसे करतलगत करने की विद्या हजारों-लाखों वर्ष तक अविज्ञात रही। फलतः उससे कुछ लाभ उठाते नहीं बन पड़ा। जैसे ही जिज्ञासु वैज्ञानिकों ने प्रकृति की परतों को पढ़ने एवं विद्युत शक्ति के नियमों को ढूँढ़ निकालने का प्रयत्न किया तो विकास शृंखला में एक और ऐतिहासिक कड़ी जुड़ गयी। बिजली ने दुनिया का काया ही पलट कर रख दिया। अन्धकार की गहरी तमिस्रा में डूबी रात्रि अत्यन्त डरावनी लगती थी। अब रात और दिन में कोई विशेष अन्तर नहीं रहा। रात्रि का आगमन होते ही डर के मारे आदिम मानव गुफाओं में जा घुसता था, विद्युत का आविष्कार होते ही वह भय जाता रहा। अब तो रात्रि में काम की दृष्टि से यातायात, कल-कारखानों आदि में हलचल बनी रहती है। आदिम मानव यदि किसी तरह आज की विकसित दुनिया में पहुँच जाय तो उसे यहाँ सब कुछ जादू और चमत्कार जैसा प्रतीत होगा। नाभिकीय शक्ति पैरों से रौंदे जाने वाले नगण्य से परमाणु कणों में आदि काल से ही विद्यमान है। पर किसी को कहाँ जानकारी थी कि पदार्थ का सूक्ष्मतम कण भी इतना अधिक सामर्थ्यवान हो सकता है। पर जैसे ही परमाणु शक्ति का हस्तगत करने के वैज्ञानिक नियमों का पता चला एक नये युग की शुरुआत हो गयी। ऐसे युग की जिसने मनुष्य जाति को पहली बार सर्वाधिक भयभीत किया तथा यह सोचने को बाध्य किया कि प्रकृति की शक्तियों का उपयोग यदि सृजन के लिए नहीं किया गया वे मनुष्य जाति को ही एक दिन भस्मीभूत करके रख देंगी। एटामिक पावर के आधार पर अब संसार के वैज्ञानिक बड़े-बड़े सपने देख रहे हैं सृजन और ध्वंस दोनों की बातें सोच रहे हैं। सम्भावना यह की जा रही है कि अगले दिनों ऊर्जा की समस्त आवश्यकताएँ नाभिकीय स्रोत से पूरी की जायेगी। आज भी जो जातियाँ पिछड़ी और अविकसित अवस्था में हैं उनके लिए परमाणु शक्ति एक अविज्ञात आश्चर्य बनी हुई है।
विपुल प्रकृति की प्रत्येक परत महत्वपूर्ण है। प्रायः उसके मोटे रहस्य आसानी से पकड़ में आ जाते हैं, पर सूक्ष्म रहस्यों को समझने तथा सूक्ष्म शक्तियों को प्राप्त करने के लिए कठिन पुरुषार्थ करना पड़ता है। समुद्र का खारा पानी विपुल परिमाण में उपलब्ध रहता है। पर यदि मोती प्राप्त करना हो तो गोताखोर जैसा दुस्साहस जुटाना और पुरुषार्थ करना पड़ता है। पृथ्वी के गर्भ से खनिज, लोहा, तेल आदि के स्रोतों का पता लगाने के लिए उतना अधिक पुरुषार्थ नहीं करना पड़ा है जितना कि परमाणु शक्ति के आविष्कार के लिए करना पड़ा। कितने ही वैज्ञानिकों को शोध कार्यों में खपना पड़ा। तब कहीं जाकर वे सूत्र ज्ञात हुए जो परमाणु के विखण्डित तथा उत्सर्जित शक्ति के सुनियोजन के कारण बने।
अभी तक प्रकृति के बारे में जितना ज्ञात हुआ उसकी अपेक्षा अविज्ञात का क्षेत्र कई गुना अधिक है। जिन