VigyapanSuchana

December 1981

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प्रज्ञायोग और अध्यात्म विज्ञान की क्रमबद्ध शिक्षा

गत अंक में ‘प्रज्ञा अभियान और अध्यात्म विज्ञान’ सम्बन्धी क्रमबद्ध शिक्षा पत्राचार विद्यालय के रूप में देने की सूचना छपी थी। प्रसन्नता की बात है कि उस योजना का असाधारण स्वागत हुआ तथा कुछ ही समय में हजारों आवेदन-पत्र आ गये।

इस उत्साह को दृष्टिगत रख यह नया निर्णय हुआ है कि अखण्ड-ज्योति के अगले अंक उसी पाठ्य-सामग्री के छापे जायें जो पत्राचार के माध्यम से पाठ्यक्रम के रूप में भेजी जाती थी। इससे सभी पाठकों को समान रूप से इस बहुमूल्य सामग्री का लाभ मिल सकेगा। संक्षिप्त पाठ्यक्रम तो चार अंकों में पूरा हो जाएगा। पर यदि वह परिजनों को रुचिकर लगा तो सन् 82 के पूरे वर्ष इसी क्रमबद्ध शिक्षा को जारी रखा जायेगा। साधना सम्बन्धी गूढ़ दर्शन व क्रियापरक मार्गदर्शन तब आगामी चार अंकों के अतिरिक्त भी विस्तारपूर्वक प्रकाशित किया जाता रहेगा।

अब नये आवेदन-पत्र न भेजे जायें। जिनने डाक खर्च भेजा है, वे उसे वापस मँगालें या उसे पत्रिका के अगले वर्ष में चन्दे में जमा करालें। पाठ्य सामग्री पूरी होने पर जो चाहेंगे, उनकी परीक्षा व्यवस्था, संशोधन, उत्तीर्ण-अनुत्तीर्ण का निर्धारण कर दिया जायेगा।


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