इस दृश्यमान एवं अदृश्य जगत के सूत्र संचालन में अपनी प्रमुख भूमिका सम्पादित कर रही है। यह समस्त संसार इसी से प्रभावित है। जड़ पदार्थ उसी के इशारे पर कठपुतली की तरह नाचते हैं। जीवधारी उसी द्वारा दी हुई अन्तःप्रेरणा, विवेक बुद्धि एवं कार्य क्षमता के सहारे अपना निर्वाह क्रम चलाते हैं।