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December 1981

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यदि तुम अविच्छिन्न रूप से आत्म-चिन्तन नहीं कर सकते तो कम से कम दिन में एक बार तो किया करो, प्रातः काल अथवा रात्रि में। प्रातः काल अपना ध्येय निश्चित कर लो और सोते समय अपनी परीक्षा कर लो तुमने क्या किया है, मन, वचन और कर्म से तुमने कैसा व्यवहार किया है।

-विवेकानन्द


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