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December 1981

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गुण, कर्म, स्वभाव का प्रवाह बहुत कुछ अचेतन द्वारा अपनाये गये अभ्यासों पर निर्भर रहते हैं। मनोविकार भी इसी क्षेत्र में चलते हैं। नवीन शोधों के अनुसार शरीरगत और मनोगत आधि-व्याधियों की जड़ें मनोविकारों में पाई गई हैं। आरोग्य शास्त्री अब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि रोगों में आहार-बिहार के व्यतिक्रम करने विषाणुओं के आक्रमण की, ऋतु प्रभाव की तथा विशेष परिस्थितियों की जितनी भूमिका होती है उन सबसे कही अधिक प्रभाव मनःसंस्थानों में चलने वाली उथल-पुथल का पड़ता है।


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