अन्तर्निहित विभूतियों का प्रत्यक्षीकरण

December 1981

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उमड़ती घुमड़ती घटाएं वर्षा होने की पूर्व सूचना दे जाती हैं। आँधी-तूफान आने के पहले वातावरण में एक अजीब-सा सन्नाटा छा जाता है। संव्याप्त विचित्र नीरवता को देखकर आने वाले तूफान का सहज ही बोध हो जाता है। मनुष्येत्तर किन्हीं जीव-जन्तुओं को ज्वालामुखी फटने, भूकंप आने जैसे प्रकृति प्रकोपों की जानकारी पूर्व ही मिल जाती है। ऐसे समय में वे अपनी स्वाभाविक प्रकृति के प्रतिकूल विचित्र आचरण करते देखे जाते हैं। मौसम में होने वाले हेर-फेर जैसी घटनाओं की पूर्व सूचना हर किसी को सहज ही मिल जाती है।

प्रकृति की ही नहीं संसार में घटने वाली प्रत्येक घटना का सूक्ष्म स्वरूप बहुत समय पूर्व ही तैयार हो जाता है तथा सूक्ष्म जगत में भी बना रहता है। क्रिया में उतरने के पूर्व मन-मस्तिष्क में उस घटना का सूक्ष्म स्वरूप विचारों के रूप में बनता है। विचारों के पढ़ने की क्षमता हो तो यह बताया जा सकता है कि अमुक व्यक्त भविष्य में किस प्रकार का आचरण करने वाला है। इसी तरह इन्द्रियातीत सूक्ष्म जगत से तारतम्य स्थापित कर सकना सम्भव हो तो भविष्य में घटने वाली प्रत्येक घटना का पूर्वज्ञान प्राप्त कर सकना सम्भव है।

मनुष्य के भीतर वह क्षमता विद्यमान है जिसके द्वारा वह भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों को जान सकता है। प्रसुप्त स्थिति में वह सामर्थ्य सभी के भीतर दबी पड़ी है। जागरण के लिए साधना पुरुषार्थ किया जा सके- अन्तरंग को जगाने- सामर्थ्य को कुरेदने, उभारने, उछालने का साहस संजोया जा सके तो मनुष्य दिव्य दृष्टि सम्पन्न बन सकता है। किन्हीं-किन्हीं व्यक्तियों में यह क्षमता अनायास प्रकट होती दिखाई पड़ती है। अपनी दिव्य दृष्टि के बलबूते वे भविष्य के विषय में कितने ही उद्घोष करते देखे जाते हैं। अपने समय पर जब वे शत-प्रतिशत सही उतरती हैं तो हर व्यक्ति को आश्चर्य होता है। अनायास प्रकट होने वाले भविष्य दर्शन की सामर्थ्य भी पूर्व जन्मों की साधना-पुरुषार्थ का ही प्रतिफल होती है। दिव्य दृष्टि सम्पन्न ऐसे कितने ही व्यक्तियों का परिचय समय-समय पर मिलता रहता है।

इंग्लैंड की केसी नामक बालिका को पूर्वज्ञान की विलक्षण सामर्थ्य बचपन से ही प्राप्त थी। शेफील्ड निवासी श्री डेनिस होम्स की लड़की केसी में बचपन से ही पूर्वाभास अदृश्य दर्शन की क्षमता के लक्षण दृष्टिगोचर होने लगे थे। एक बार वह अपने माता-पिता के साथ छुट्टियाँ बिताने ‘यारमुथ’ नामक स्थान पर जा रही थी। आगे मार्ग में पड़ने वाले दृश्यों, स्थानों का वर्णन केसी इस प्रकार करती जाती थी जैसे उसके पहले के देखे हुए हैं। होम दंपत्ति को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि केसी की बताई गई बातें शत-प्रतिशत सही उतर रही थीं। एक दिन केसी शेफील्ड की प्रमुख सड़क पर स्थिति कब्रिस्तान में माता-पिता के साथ अपने दादा की कब्र पर फूल चढ़ाने गयी। अचानक वह बोली ‘यहीं मेरे दोस्त डेविड की भी कब्र है। पता लगाने पर मालूम हुआ कि बगल में ही डेविड नाम के एक लड़के की कब्र थी जो तीन वर्ष पूर्व युवावस्था में मरा था। दो वर्षीय बच्ची केसी स्थानीय व्यक्तियों के लिए रहस्य की विषय बनी हुई है।

अप्रैल 1975 की वियतनाम युद्ध के दौरान अनाथ हुए बच्चों को अमेरिका लाया जा रहा था। केसी टीवी पर समाचार सुन रही थी। उसी समय वह बोल पड़ी- बच्चे जहाज दुर्घटना में मारे जावेंगे। दो दिन बाद समाचार प्रकाशित हुआ कि जहाज के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से वियतनाम से अमेरिका आ रहे सभी बच्चे मारे गये। भविष्य बोध की उसकी विलक्षण सामर्थ्य की परीक्षा अनेकों बार की जा चुकी है और प्रामाणिक सिद्ध हुई है।

इंग्लैण्ड के ही ‘सेम बैंजोन’ नामक व्यक्त को बचपन से ही पूर्वाभास, अदृश्य दर्शन की सामर्थ्य प्राप्त है। सात वर्ष की आयु में एक दिन वह फूट-फूटकर रोने लगा। माँ के पूछने पर उसने बताया कि “एक ट्राम दुर्घटना होने वाली है जिसमें पिताजी गम्भीर रूप से घायल होंगे।” माँ ने ‘बकवास’ मानकर उसे डाँटकर चुप कर दिया, पर दूसरे ही दिन उसके पिता एक ट्राम दुर्घटना में बुरी तरह घायल हुए। कितनी ही घटनाओं के पूर्वाभास उसे समय-समय पर होते रहे हैं जो उसके बताये गये समय पर सही सिद्ध हुए हैं। एक बार पड़ौसी के यहाँ एक पेण्टर पुताई का काम कर रहा था। दूसरे दिन प्रातः काल अपने अधूरे छोड़े काम को पूरा करने के लिए वह जैसे ही आया, उसे देखते ही ‘सेम’ ने कहा आज इसके जीवन का अन्तिम दिन है। सचमुच ही दोपहर के समय सीढ़ियों पर शरीर का सन्तुलन डगमगा जाने से वह नीचे गिर पड़ा और थोड़ी ही देर बाद मर गया।

हालैण्ड यूरेड यूनीवर्सिटी से पैरासाइकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष श्री विलियम तेनहाफ, दिव्य दर्शन क्षमता के लिए प्रख्यात हैं। अनेकों बार वैज्ञानिकों के समक्ष अपनी इस दिव्य सामर्थ्य का परिचय भी दे चुके हैं। उनका कहना है कि अदृश्य दर्शन की क्षमता हर मनुष्य में विद्यमान है, पर वह सोयी पड़ी है। समय-समय पर आस्ट्रिया, फ्रांस, जर्मनी, स्विट्जरलैण्ड आदि पड़ौसी देशों के लोग उनके पास भविष्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए जाते रहते हैं।

एक बार वैज्ञानिकों की एक टोली उनके पास पहुँची। परीक्षा के लिए उन्होंने ‘क्रोयसेत’ से पूछा कि यूट्रैक्ट यूनीवर्सिटी के, लेक्चर हाल में आज संध्या होने वाले उद्बोधन में कुर्सी नम्बर 9 पर कौन बैठेगा, उसके बारे में विस्तार से बतायें। क्रोयसेत ने उस पर आकर बैठने वाली महिला का नाम, पता, हुलिया तथा उससे सम्बन्धित घटनाक्रमों को सही-सही बताकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया। निर्धारित समय पर आकर बैठने वाली महिला से पूछे जाने पर उसने क्रोयसेत द्वारा बतायी गई सभी बातों की पुष्टि की- खोये व्यक्तियों, वस्तुओं एवं अपराधों के पता लगाने में पुलिस विभाग समय-समय से क्रोयसेत से सहयोग प्राप्त करता है।

‘स्वीडेन’ के ‘इमेनुअल’ नामक व्यक्ति को अचानक यह पूर्वाभास हुआ कि सैकड़ों मील दूर के एक शहर में भयंकर अग्निकाण्ड होने वाला है। अपने एक पत्रकार मित्र से उसने इसका से उल्लेख किया जो आरम्भ में उसने मन का बहम मानकर टाल दिया, किन्तु दूसरे ही दिन पता लगा कि ‘इमेनुअल’ द्वारा बताये गये समय पर उस नगर में भीषण आग लगी। इस तरह के पूर्वाभास इमेनुअल को अक्सर होते रहते हैं। उसके इर्द-गिर्द भविष्य जानने वालों का जमघट सदा लगा रहता है, पर वह उन्हीं विषयों पर चर्चा करता है जो मनुष्य जाति के सामूहिक भविष्य से सम्बन्धित हो।

प्रसिद्ध कवि गेटे ने अपनी आत्म-कथा में स्वानुभूति की एक घटना का उल्लेख किया है। एक बार वह अपने निवास स्थान पर था तो उसे अनायास तीव्र अनुभूति हुई कि वहाँ से हजारों मील दूर सिसली में एक भयंकर भूकम्प आने वाला है। यह बात उसने अपने मित्रों को बतायी उस समय तो किसी को विश्वास न हुआ कि बिना किसी आधार के इतनी दूर की बात इस प्रकार कैसे मालूम हो सकती है। पर कुछ ही दिन बाद यह समाचार मिला कि सिसली में तेज भूकम्प आया जिसमें अनेकों व्यक्तियों की जाने गयीं। भूकम्प आने का दिन वही था जो गेटे ने अपने मित्रों को बताया था। मित्रों को यह जानकर आश्चर्य का ठिकाना न रहा।

न्यूयार्क की महिला डोरोथी एलिसन की गणना भी ऐसे ही अंतर्दृष्टि सम्पन्न व्यक्तियों में की जाती है। चार्ल्स ईगल नामक व्यक्ति का ‘एलिसन’ के पास पहुँचा। उसे देखते ही डोरोथी बोल पड़ी ‘तुम्हारी अठारह वर्षीय लड़की गुम हो गई है। तुम्हारे यहाँ आने का प्रयोजन उसका पता लगाना है।’ ईगल ने सिर हिलाकर मूक रूप से स्वीकार किया कि डोरोथी जो कह रही है वह सच है। ‘एलिसन कुछ देर ध्यान मग्न रही फिर कुछ क्षणों बाद बोली- चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं- तुम्हारी लड़की सुरक्षित है। वह लाल रंग के एक मकान में एक युवक के साथ अपनी स्वेच्छा से रही रही है। मकान का नम्बर 106, 186 या 168 होना चाहिए। मकान कहाँ है इसकी जानकारी बाद में दूँगी।’

कुछ दिनों बाद चार्ल्स दुबारा डोरोथी के पास पहुँचा। आते ही डोरोथी ने कहा कि “तुम्हें मैनहट्टन नामक स्थान पर चलना होगा लड़की इन दिनों वहीं है।” उक्त स्थान पर पहुँचने पर डोरोथी ने कार को एक गली में मोड़ने का संकेत किया। मोड़ से थोड़ा आगे बढ़ते ही एक लाल दरवाजे का मकान था जिसका नम्बर था 186। मकान के भीतर तलाशी लेने पर जमीन के नीचे बने एक कमरे में वह पायी गयी। लड़की ने बताया कि वह स्वेच्छा से युवक के साथ आयी है तथा उससे शादी करने वाली है।

भारत कोकिला सरोजिनी नायडू के घर एक वृद्ध अंग्रेज महिला रहती थी। एक दिन मुहम्मद अली जिन्ना अपनी पारसी पत्नी के साथ उनके घर पहुँचे। वृद्ध महिला बड़े गौर से जिन्ना दंपत्ति को देखती रही। दोनों के चले जाने पर उन्होंने सरोजिनी नायडू को बताया कि “जिन्ना की पत्नी तीन वर्ष बाद आत्म-हत्या कर लेगी और जिन्ना बादशाह बनेगा।” तीन वर्ष पूर्व भारत पाकिस्तान विभाजन की चर्चा भी नहीं थी। ठीक तीन वर्ष बाद पाकिस्तान बना। जिन्ना अध्यक्ष बने और उनका पत्नी ने आत्म-हत्या कर ली। वृद्ध अंग्रेज महिला की विलक्षण सामर्थ्य का उल्लेख स्वयं सरोजिनी नायडू ने किया था। तत्कालीन अनेकों पत्रों में इस घटना का वर्णन विस्तार पूर्वक छापा था।

उत्तर प्रदेश के बिजनौर शहर के ब्रह्मनान मुहल्ला के सामान्य परिवार की एक ग्यारह वर्षीय बालिका ‘सुधा’ 27 जनवरी 1948 का प्रातः उठते ही बोली- ‘बापू को किसी ने गोली मार दी है। माता-पिता ने उसे उस समय तो डांटकर चुप कर दिया। पर ठीक तीन दिन बाद 30 जनवरी 1948 की संध्या को जब प्रार्थना के समय गोली मार कर हत्या कर दी गई तो माता-पिता के आश्चर्य का ठिकाना न रहा।

सन् 1965 में भारत पाक समझौते के सम्बन्ध में लाल बहादुर शास्त्री ताशकन्द में पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खाँ ओर रूस के प्रधानमंत्री कोसिजिन से वार्ता करने के लिए पहुँचे। भारत के एक छात्र उदय कुमार वर्मा उन दिनों वहीं अध्ययन कर रहे थे। उनके पड़ोस में रहने वाली एक सोवियत छात्रा उनसे आकर कहने लगी मुझे शास्त्री जी के दर्शन अवश्य करा दीजिए वरना फिर कभी उनके दर्शन नहीं होंगे। कारण पूछने पर बालिका ने बताया कि उसे ऐसा बोध हो रहा है कि शास्त्री जी अब जीवित नहीं रहेंगे। उसके बारम्बार आग्रह किये जाने पर उदय कुमार ने उसे शास्त्री जी के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दर्शन के लिए पहुँचा दिया। उसी रात 9 जनवरी 1966 को शास्त्री जी का निधन हो गया जिसकी खबर दूसरे दिन सारे विश्व में फैल गयी।

अंतर्दृष्टि सम्पन्न कितने ही भारतीय योगियों, ऋषियों का उल्लेख मिलता है जो एक स्थान पर बैठे-बैठे विश्व की समस्त हलचलों एवं भावी घटनाक्रमों का पता लगा लेते थे। महाभारत में वर्णन आता है कि अन्धे धृष्टराज को संजय ने अपनी दिव्य-दृष्टि से उनके निकट बैठकर कुरुक्षेत्र की समस्त घटनाओं का वर्णन इस प्रकार किया था जैसे सामने प्रत्यक्ष देख रहे हों। ऐसी क्षमता सम्पन्न असंख्यों ऋषियों का उल्लेख भारतीय धर्म ग्रन्थों में मिलता है। इसका उल्लेख करते हुए ऋषि ‘योग तत्वोपनिषद’ में लिखते हैं-

यथा वा चित्त सामर्थ्य जायते योगिनो ध्रुवम्। दूरश्रुतिर्दूरदृष्टि अणाद् दूरागमस्तथा। वाक् सिद्धिः कामरुपत्व महश्यकरणी तथा॥

अर्थात्- ‘‘जैसे-जैसे चित्त की सामर्थ्य बढ़ती है, वैसे ही दूरश्रवण, दूरदर्शन, वाक् सिद्धि, कामना पूर्ति आदि अनेकों विलक्षण दिव्य सिद्धियाँ मिलती चली जाती हैं।”

पूर्वाभास की ये घटनाएं विलक्षण मानवी सामर्थ्य का परिचय देती हैं। भारतीय अध्यात्म वेत्ताओं ने मस्तक पर दोनों भौहों के बीच अवस्थित आज्ञाचक्र का दिव्य दृष्टि का केन्द्र माना है। तत्ववेत्ताओं का कहना है कि हर मनुष्य में वह क्षमता मौजूद है कि वह भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों ही कालों का ज्ञान प्राप्त कर सकता है। दिव्य दृष्टि द्वारा दूरवर्ती तथा सूक्ष्म जगत में चल रहे घटनाओं के सूक्ष्म प्रवाह की जानकारी प्राप्त करना शक्य है। पर यह सामर्थ्य प्रसुप्तावस्था में दबी पड़ी है। जागरण के लिए साधना-पुरुषार्थ किया जा सके तो त्रिकालदर्शी बन सकना हर किसी के लिए सम्भव है।


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