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November 1977

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अथ यदतः परो दिवो ज्योतिर्दीप्यते। पृष्ठेषु सर्वतः पृष्ठैष्वेनुत्तमेषु चोकेषु। इदं वाव यद्यदस्मित्रन्तः पुरुषे ज्योतिः-छान्दोग्य

एक परम ज्योति है। जो सब वस्तुओं और लोकों से परे है। वही सर्वत्र जगमगा रही है। वही दिव्य ज्योति मनुष्यों के हृदय में विद्यमान है।


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