अंय तु परंमो धर्मो यद् योगनात्मदर्शनम्। योग के द्वारा आत्म साक्षात्कार करना सबसे बड़ा धर्म है। जो लोग धर्म की चर्चा करते हैं और साथ ही उसकी उपासना को भी धर्म के अंगों में महत्त्वपूर्ण स्थान देते हैं जैसा कि देना चाहिए उन्हें इस परम धर्म योग की शरण में आना चाहिए।