शिष्य सम्राट सिकन्दर (kahani)

November 1977

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एक बार सम्राट सिकन्दर और उनके गुरु अरस्तू दोनों किसी घने जंगल में जा रहे थे। रास्ते में एक उफनता हुआ नाला मिला। दोनों में से उसे पहले कौन पार करे- इस प्रश्न पर विवाद उठ खड़ा हुआ। सिकन्दर ने हठ किया और वही पहले पार हुआ। पीछे अरस्तू उतरे।

पर जाने पर अरस्तू ने कहा बड़ा होने के नाते उतरने की पहल मुझे करनी थी, तुमने उसमें विरोध क्यों किया?

सिकन्दर ने कहा- नाला भयानक था। उसे पार करने में पहले जाने वाले को अधिक और पीछे वालो को कम खतरा था। अरस्तू रहेंगे तो सैकड़ों सिकन्दर बन सकते हैं पर सिकन्दर तो एक भी अरस्तू पैदा नहीं कर सकता।


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