सुप्रसिद्ध लेखिका मेरी स्टोप्स जब सोलह वर्ष की थी तो किसी ने उनके रूप सौंदर्य की अतिशयोक्ति पूर्ण प्रशंसा कर दी। इस पर उन्हें बहुत गर्व रहने लगा।
बात उनके पिता को मालूम हुई तो उन्होंने बेटी को बुला कर कहा- बच्ची किशोरावस्था की सुन्दरता प्रकृति की देन है, उस पर केवल प्रकृति के अनुदान को ही सराहा जा सकता है। तुम्हें अपने सौंदर्य पर गर्व करना हो तो साठ वर्ष की आयु के पश्चात करना। क्योंकि यदि तब भी तुम सुन्दर रही तो वह सौंदर्य सचमुच तुम्हारा अपना ही उपार्जन होगा।