अखण्ड−ज्योति के माध्यम से गुरुदेव की प्रेरणाओं और प्रतिवेदनाओं का प्रवाह पाठकों तक चिरकाल से पहुँचता रहा है। अब उनके सान्निध्य में रहकर व्यक्ति गत संपर्क सहयोग का—वाणी के माध्यम से मिलने वाले प्राण प्रकाश का—लाभ ले सकना भी कुछ समय के लिए सम्भव हो गया। शान्तिकुञ्ज हरिद्वार को इसी प्रयोजन के लिए एवं प्रशिक्षण संस्थान के रूप में विनिर्मित—विकसित—किया गया है। परिजनों के लिए यह एक अलभ्य अवसर है कि अपनी रुचि एवं सुविधा के किसी सत्र में सम्मिलित होकर वे ऐसा लाभ उठालें जिसे उनकी जीवन की अविस्मरणीय उपलब्धि कहा जा सके।
शिक्षण सत्रों की पाँच शृंखलायें चल रही हैं इनमें सम्मिलित होने के इच्छुकों को विघ्न बातों की जानकारी देते हुए अपना आवेदन−पत्र भेजना चाहिए। क्रमानुसार सत्र में आने की उनमें से उपयुक्त व्यक्तियों को स्वीकृति दी जायेगी।
आवेदन कर्ताओं के विवरण (1)नाम (2)पूरा पता (3)आयु (4)शिक्षा (5)व्यवसाय (6)कोई शारीरिक या मानसिक दुर्व्यसन हों तो उसका विवरण (7)जिस सत्र में आना चाहते हैं उस संदर्भ में पूर्व अनुभव। शिक्षा काल में धोती ही उपयोग में आती है पेन्ट पजामा यहाँ नहीं चलते। कठोर अनुशासन पालन में अभ्यस्त व्यक्ति ही यहाँ पर ठहर सकेंगे। बिना स्वीकृति के व्यक्ति सम्मिलित नहीं किये जाते। बच्चों समेत आने की स्वीकृति किसी को भी नहीं मिलती। आगन्तुकों एवं पर्यटकों के लिए ठहरने की धर्मशाला जैसी व्यवस्था भी शान्तिकुञ्ज में नहीं है।
(1)प्रत्यावर्तन सत्र—पाँच−पाँच दिन के लिए। वर्तमान सत्र शृंखला 10 नवम्बर 1974 तक चलेगी। इसके बाद 20 फरवरी से 25 मई तक चलेगी। विषय—पंच जोशी योग साधना। जून सन् 73 की अखण्ड−ज्योति के अंक में इस शिक्षा का उद्देश्य, आधार और विवरण छप चुका है।
(2)कनिष्ठ वानप्रस्थ सत्र—दो−दो महीनों के लिए। वर्तमान शृंखला में तीन सत्र हैं (अ)20 नवम्बर से 19 जनवरी तक (ब) 20 दिसम्बर से 16 फरवरी तक (स)17 जनवरी से 16 मार्च तक। विषय—युग−निर्माण अभियान का लोक नेतृत्व कर सकने की समग्र क्षमता का विकास, भाषण शक्ति का विकास, अभियान के विविध कार्य क्रमों के संचालन का व्यावहारिक ज्ञान। इसकी पूरी जानकारी जनवरी 74 की अखण्ड−ज्योति में छप चुकी है।
(3)भजनोपदेशक सत्र अवधि तीन महीना। 1 अक्टूबर से 30 दिसम्बर तक प्रथम सत्र। विषय—संगीत की भजनोपदेशक स्तर की शिक्षा। साथ ही भाषण कला एवं प्रचारक के लिए आवश्यक ज्ञान का प्रशिक्षण। जिनके कण्ठ सुरीले हों उन्हें ही इसमें प्रवेश मिलेगा।
(4)महिला जागरण सत्र—अवधि तीन महीने। वर्तमान सत्र 30 सितम्बर को समाप्त होंगे। आगामी सत्र 1 अक्टूबर, 1 जनवरी एवं 1 अप्रैल से आरम्भ होंगे। विषय—संगीत, सिलाई, अन्य गृह उद्योग, प्रवचन, महिला संगठन, प्रौढ़ महिला विद्यालय का संचालन, नारी जीवन से सम्बन्धित विविध समस्याओं के समाधान की क्षमता का विकास। जुलाई 74 की अखण्ड−ज्योति के अपनों से अपनी बात स्तम्भ में इसका विवरण छपा है।
(5)लेखन सत्र—लेख एवं पुस्तक लेखन की व्यवस्थित शिक्षा। शिक्षार्थी ग्रेजुएट स्तर से कम नहीं लिए जाते। अवधि पन्द्रह−पन्द्रह दिन। जून 75 में ता. 1 से 15 जून तक और 16 से 30 तक।
मात्र कौतूहल के लिए उपयुक्त पात्रता से रहित व्यक्ति न आवें। सत्रों के प्रयोजनों में निष्ठा रखने वाले लोगों को ही आमन्त्रित किया गया है। अखण्ड−ज्योति के पाठकों में से ही शिक्षार्थी लिये जायेंगे। मिशन की विचारधारा एवं गतिविधियों से अपरिचित व्यक्ति किसी भी सत्र में सम्मिलित न किये जा सकेंगे।
शिक्षार्थियों के निवास, भोजन आदि की समुचित सुविधा की गई है। शिक्षार्थी अपना भोजनादि व्यय स्वयं वहन करेंगे ऐसी आशा की गई है। फिर भी जो न दे सकें या कम दें उन अधिकारी पात्रों की शिक्षा में वंचित न रहना पड़े ऐसी व्यवस्था है।
इस सत्र शृंखला सम्बन्धी पत्र व्यवहार शान्तिकुञ्ज, प्रो. डडडड सरोवर (हरिद्वार) के पते पर किया जाये।
*समाप्त*