बादशाह हसन (kahani)

September 1974

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बादशाह हसन अपने मित्रों के बीच बैठे बातचीत कर रहे थे। बातों ही बातों में एक मित्र ने पूछ ही लिया—”मैंने देखा कि एक समय आपके पास न धन था और न सैनिक फिर भी आप सुलतान बन गए। एक साधारण व्यक्ति के लिए इतने ऊँचे पद पर पहुँचना कैसे सम्भव हो सका।”

सुलतान ने किंचित मुस्कराते हुए कहा—’मित्रों के लिए मेरे हृदय में गुंजाइश और शत्रुओं के लिए मानवता तथा उदारता का ध्यान तो मैं उस समय भी रखता था। क्या यह खजाना सुलतान बन जाने के लिए पर्याप्त नहीं है।’


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