व्यक्ति अपने में अपूर्ण है (kahani)

September 1974

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प्लाइमाउथ की एक महिला डा. सैमुअल जान्सन के शब्दकोश के पृष्ठ पलट रही थी। उसकी दृष्टि तक परिभाषा पर अटक गई। उसे लगा कि यह परिभाषा गलत है पर इतने बड़े साहित्यकार के सम्बन्ध में एकदम ऐसा निर्णय करना उचित न था। परिभाषा के शब्दों को उसने कई बार ध्यान से पढ़ा और समझने का प्रयास किया अब वह इस निश्चय पर पहुँच चुकी थी कि जानसन की परिभाषा बिल्कुल गलत है। उसकी प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। एक विद्वान् को पछाड़ने का इससे अच्छा अवसर कब हाथ आने वाला था।

महिला लन्दन के लिये चल पड़ी। उसकी धारणा थी कि जब जान्सन का ध्यान इस परिभाषा की ओर आकर्षित करेगी तो उससे घण्टों वाद−विवाद होगा वह, अपनी परिभाषा को सत्य सिद्ध करने के लिए अनेक तर्क प्रस्तुत करेगा। महिला डा. जानसन के घर पहुँची। उसने अपने आने का उद्देश्य बताकर जानसन की भूल को सामने रखा। जानसन ने विनम्र शब्दों में उत्तर दिया—”भद्र मुझसे यह भूल अज्ञानता के कारण हुई है। व्यक्ति अपने में अपूर्ण है। इसलिए त्रुटियों का होना स्वाभाविक है, मैं अपनी इस भूल को तुरन्त ही सुधार देता हूँ।” इतना कह कर उसे विदा किया।

महिला जिस तैयारी के साथ विवाद की आशा लेकर आई थी वह व्यर्थ सिद्ध हुई। हराने के लिए वह दर्पपूर्वक गई थी पर नम्रता से परास्त होकर लौटी।


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