भरोसा भगवान् का

October 1968

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भरोसा भगवान् का :-

लन्दन के एक मकान में 16 वर्ष का किशोर बालक बन्दूक साफ कर रहा था। बालक का नाम या रोनल्ड टैकर था। वह प्रारम्भ से ही गजब का साहस और आत्म-विश्वास का धनी था। वह प्रतिदिन थोड़ा समय भगवान के भजन के लिये अवश्य निकाला करता था।

बन्दूक साफ करते समय एकाएक गोली छूट गई और कनपटी में जा घुसी। माँ चिल्लाकर रो पड़ी। घर वाले बहुत दुःखी हुए। डाक्टर के पास ले जाया गया। डाक्टर ने कहा- ‘‘आपरेशन खतरनाक है, गोली निकल सकती है पर मृत्यु किस क्षण हो जाये यह कहा नहीं जा सकता।”

बालक ने कहा- ‘‘डाक्टर कोई दवा लगा दो। खून बन्द हो जायेगा, बाकी सब भगवान देखेगा।” भगवान के विश्वास पर उसने मृत्यु को रोक दिया। मृत्यु खड़ी प्रतीक्षा करने लगी।

33 वर्ष तक न तो उसने कोई काम बन्द किया, न निराश हुआ और नाहीं एक दिन बुखार आया। मृत्यु तो जैसे घबड़ा ही गई कि उसे किस तरह छेड़ा जाये। 49 वर्ष की आयु में उसका निधन हुआ तब लोगों को ज्ञात हुआ कि भगवान के विश्वास में भी इतनी शक्ति हो सकती है।


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