महाप्रभु ईसामसीह यरूशलम की पद-यात्रा कर रहे थे। वे बहुत थक गये, इसलिये शिष्यों ने कहा- ‘‘भगवन्! आज तो विश्राम यहीं करें।”
वे बोले- ‘‘भाई, समय पर पहुँचना आवश्यक है।” “तुम इस गाँव में जाओ वहाँ एक गधी बँधी हुई मिलेगी। पास ही में उसका बच्चा भी होगा। गधी को ले आना। कोई रोके तो कहना प्रभु ईसा को आवश्यकता पड़ गई है।”
जहाँ दृष्टि नहीं जा सकती थी वहाँ की बात ईसामसीह कैसे जान गये, यह बड़ा आश्चर्य है पर प्राण-विद्या के ज्ञाता आचार्यों के लिये यह सब बहुत सरल बातें हैं।