आत्मायें धरती पर उतरीं और ...।

October 1968

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ब्राजील के दो टेलीविजन इंजीनियर मिगेल वायना जिसकी आयु कोई 35 वर्ष होगी। मैनुअल क्रूज जो 32 वर्ष का था- दोनों की अन्तरिक्ष के रहस्य जानने की उत्कट अभिलाषा रहती थी। दोनों ने मिलकर एक प्रयोगशाला बनाई थी और उसमें विभिन्न प्रकार के प्रयोग किया करते थे। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने अन्तरिक्ष-वासियों को सन्देश प्रेषित करने के कुछ सूत्र ढूँढ़ लिये थे। वे कितने सत्य थे, इस संबंध में कुछ कहा नहीं जा सकता।

किन्तु उनकी मृत्यु ऐसे रहस्यमय ढंग से हुई, जिसका वर्णन सुनकर महर्षि वेदव्यास के वेदान्त दर्शन में अध्याय 3 पाद 3 के 53-54 सूत्रों में जीवात्मा की स्थिति सत्य प्रमाणित होने लगती है कहा है-

व्यतिरेकस्तद्भावाभावित्वान्न तूपलब्धिवत्। उत्तर मीमाँसा 3। 3। 54

अर्थात्- शरीर से आत्मा भिन्न है, क्योंकि शरीर के विद्यमान होते हुये भी उसमें आत्मा नहीं रहती।”

तात्पर्य यह कि शरीर एक प्रकार का क्षेत्र है। उसे आत्मा का वाहन भी कह सकते हैं। आत्मा अति सूक्ष्म और क्षेत्र है वह अपने संकल्प और कर्मानुसार शरीर बदल सकती और लोकान्तरों में भी जा सकती है। जर्मन वैज्ञानिक हेकल ने अपने ग्रन्थ “दि रिडल आफ दि यूनिवर्स” में यह सिद्धान्त प्रतिपादित करते हुये बताया है कि परमाणुओं में चेतनता निहित है। जब तक आत्मा शरीर में रहता है, तब तक वह चेतनवत् प्रतीत होता है। आधुनिक विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि इन्द्रियों की सहायता के बिना भी बाह्य जगत का ज्ञान प्राप्त हो सकता है, आत्मा किसी भी लोक और प्रदेश में विचरण कर वहाँ की तन्मात्राओं की अनुभूति कर सकती है।

अगस्त 1966 की बात है। उक्त दोनों वैज्ञानिक कैम्पोस से रियो-डि-जानेरियो के लिये निकले। इसी वर्ष साओ पोलो से कोई 100 मील उत्तर पश्चिम की ओर आकाश में कोई गोलाकार वस्तु तेजी से चक्कर काट रही थी। बाद में उससे कोई हव्य निकला, जिससे कम्पिनास कस्बे की सारी सड़कें गीली हो गई। वैज्ञानिकों ने उक्त हव्य का विश्लेषण किया तो यह पाया कि वह पिघला हुआ शुद्ध टिन था। अनुमान है कि वह गोलाकार वस्तु कोई उड़न तस्तरी थी, जो किसी अन्य ग्रह से आई थी। उसमें बैठी हुई आत्माओं ने या तो प्रयोग के लिये या फिर संकेत देने की दृष्टि से ही वह द्रव पृथ्वी में डाला होगा।

दोनों इंजीनियर घर से 9 बजकर 30 मिनट पर निकले। क्रूज की धर्मपत्नी नेली ने एक हजार पाउण्ड के नोट एक कागज में बाँधकर क्रूज को दिये, जिससे वह आवश्यक वस्तुयें खरीद सके। उन्हें टेलीविजन के कुछ पुर्जे और कार खरीदनी थी। दोपहर के बाद दोनों नितराय शहर पहुँचे। वहाँ उन्होंने बरसाती कोट खरीदे। दुकानदार हैरान था कि इतनी भयंकर गर्मी में बरसाती कोट खरीदने का क्या कारण हो सकता है?

वहाँ से चलकर दोनों एक होटल में आये और “मिनरल वाटर” की कुछ बोतलें खरीदीं। यह होटल विन्टेम पहाड़ी की तलहटी में है। वहाँ से निकलकर क्रूज और वायना दोनों विन्टेम पहाड़ी पर चढ़ने लगे। उन्हें ऊपर चढ़ते हुए बहुत लोगों ने देखा। होटल की नौकरानी मारिया सिल्वा ने उन्हें 1000 फुट ऊँची पहाड़ी पर पहुँचते देखा और उसके बाद जो कुछ हुआ, वह अब तक भी लोगों के लिये महान् आश्चर्य एवं रहस्य का कारण बना हुआ है।

जैसे ही दोनों पहाड़ पर चढ़े कोई उड़न तस्तरी के आकार की वस्तु पहाड़ी पर उतरती दिखाई दी। उस समाचार की पुष्टि नगर के प्रमुख दलाल की पत्नी श्रीमती ग्रासिन्दा सूजा ने भी की है। उन्होंने लोगों को बताया कि कोई विचित्र वस्तु आकाश से विन्टेम पहाड़ी पर उतर रही थी। उसका रंग हरा, पीला और किनारे आग की तरह लाल रंग के थे।

विन्टेम पहाड़ी घने जंगलों वाला स्थान है और पिछले 25 वर्षों से वहाँ अक्सर उड़न तश्तरियां देखी जाती रही हैं। कुछ लोगों की तो निश्चित धारणा ही हो गई है कि जिस तरह पृथ्वीवासी मंगल, शुक्र आदि ग्रहों में जाने के लिये चन्द्रमा को स्टेशन बना रहे हैं, इसी प्रकार अन्तरिक्ष वासियों ने ब्राजील के विन्टेम पहाड़ को यहाँ की परिस्थितियों के अध्ययन का स्टेशन बनाया है। वहाँ प्रायः प्रतिदिन कोई विचित्र वस्तु आकाश से उतरती और कुछ देर ठहरकर चली जाती है।

क्रूज और वायना के वहाँ पहुँचने के बाद लोगों ने उड़न-तश्तरी तो देखी किन्तु रात तक क्या हुआ, इस संबंध में कुछ पता नहीं चल पाया। प्रातःकाल कुछ लड़के शिकार खेलने के लिये पहाड़ी पर चढ़े। वहाँ उन्होंने दोनों युवकों को मरा हुआ पड़ा देखा। बाद में यह खबर सारे शहर में फैल गई। पुलिस ने जाकर देखा तो आश्चर्य चकित रह गई। उनकी मृत्यु बड़े ही रहस्यमय ढंग से हुई।

दोनों बरसाती कोट पहने थे। पर कोट के नीचे कपड़ों में जरा-भी कहीं सलवट न थी जिससे स्पष्ट है कि किसी से हाथा-पाई नहीं हुई। दोनों के शरीर में कोई घाव नहीं थे। उनके पास एक पर्चा पड़ा पाया गया, उसमें कई दिन के प्रयोग के लिये कुछ गोलियों के नाम लिखे थे, उससे यह आशंका हुई कि सम्भवतः उन्होंने जहरीली औषधि खाई होगी पर अन्त्यपरीक्षा में उनके शरीर में किसी प्रकार के विष का कोई प्रभाव नहीं पाया गया।

लाश के पास दो मुखौटे भी थे, उनमें साँस लेने के छेद तो थे पर आँखों के लिये कोई स्थान न था। कुछ रंगीन कागज भी बिखरे थे, उनमें कोई ऐसा सूत्र लिखा था, जिसका कोई भी वैज्ञानिक अर्थ नहीं निकाल पाया। दूसरे दो पर्चों में कुछ संकेत इस तरह थे- ‘‘बुधवार-एक गोली, दवा तब लो जब नीचे लेट जाओ। दूसरे पर लिखा था शाम को 6 बजकर 30 मिनट पर गोली खाकर चेहरा मुखौटों से ढकलो और संकेत की रहा देखो।”

तिलस्म सी दिखने वाली इन तमाम बातों से अनुमान लगाया कि क्रूज और वायना अन्तरिक्ष से आने वाले उस यान पर चढ़कर किसी अन्य ग्रह को चले गये। उनका सूक्ष्म शरीर ही गया। सम्भवतः वे शरीर को इस तरह सुरक्षित इसलिये छोड़ गये होंगे कि बाद में वे अन्तरिक्ष से लौटकर आयेंगे और अपने शरीर में पुनः प्रवेश कर लेंगे।

सूक्ष्म शरीर को बाहर निकालकर पुनः मृत शरीर में प्रवेश के उदाहरण अनेक पौराणिक गाथाओं में मिलते हैं। 1959 में 17 मई को हिन्दुस्तान में भारतीय सेना के अंग्रेज अफसर श्री एल. पी. फेरल का प्रत्यक्ष प्रमाण प्राप्त अत्यंत रोचक वर्णन छपा था। उन्होंने उसमें बताया था- ‘‘मैंने एक वृद्ध योगी को एक मृत युवक के शरीर में प्रवेश करते देखा और उससे संपर्क स्थापित कर सारा रहस्य ज्ञात किया।” उन्होंने इस लेख में स्वीकार किया है कि आत्मा की सत्ता शरीर से पृथक और स्वतंत्र है। और वह अपने अच्छे-बुरे कर्मानुसार पुनर्जन्म और अन्य लोकों का भी आवागमन करता है।

प्रो. जे. बी. राइन ने भी विचार संक्रमण (टेलीपैथी) और दिव्य-दृष्टि (क्लेयर वायेन्स) के कई प्रयोगात्मक अनुसंधानों के द्वारा यह सिद्धकर दिखाया कि भौतिक उपकरण न हों तो भी दूसरों के विचार और अति दूरस्थ या भविष्य की घटनाओं का ज्ञान हो सकता है। यह भी प्रमाणित किया कि संसार के भिन्न-भिन्न भागों में जीव एक देह का परित्याग कर नया जन्म ग्रहण करते हैं। उनमें से कई को तो पूर्वजन्मों की स्मृति ऐसे ही बनी रहती है, जैसे सोकर जागने के बाद भी पिछले दिन की सारी घटनायें याद रहती हैं।

क्रूज और वायना की लाशों को सुरक्षित रखा जाता तो सम्भव था, उक्त तथ्यों की आश्चर्यजनक खोज होतीं, किन्तु पुलिस इन सब बातों को मानने के लिये तैयार न थी पुलिस इन्सपैक्टर जोंस ब्रिटेन-कोर्ट ने दोनों मुखौटे परीक्षण के लिये भेजे पर उनमें किसी प्रकार की रेडियो धर्मी तरंगों की बात पुष्ट नहीं हुई। ब्रिटेन-कोर्ट का दावा था कि जब वे लोग पहाड़ी पर आकर खड़े हुए होंगे, तब उनसे कोई वस्तु टकराई होगी। पर इस स्थिति में भी उनके शरीर में कहीं चोट के निशान तो होते। जिन परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हुई, उन्हें देखकर तो यही लगता है कि उनके साथ सुनियोजित प्रयोग किया जा रहा था।

वायना के पिता ने उनके प्रयोग की कई विचित्र बातें बताईं और यह आशंका व्यक्त की कि इन दोनों का अन्तरिक्षवासियों से कोई रेडियो संबंध था और उनकी हत्या अन्तरिक्ष-वासियों ने ही की।

जो सबसे आश्चर्य की बात है वह है उस पर्चे का खो जाना जो पुलिस ने मृतकों के पास से प्राप्त किया। उस पर्चे को पुलिस ने तिजोरियों के अन्दर पहरे में रखा था पर उस कागज को कोई बड़े ही रहस्यपूर्ण ढंग से निकाल ले गया। उसका आजतक पता नहीं चल पाया।

यद्यपि यह सब अनुमान ही हे कि हत्या अन्तरिक्ष वासियों ने की। सम्भवतः मृत-आत्मायें वापस आतीं पर उनके शव सुरक्षित नहीं रखे गये। और यह कि उस डडडड में कुछ ऐसे सूत्र थे, जिनके सहारे उड़न तश्तरियों का रहस्य पकड़ा जा सकता था। यदि भौतिक उपकरणों के माध्यम से पृथ्वीवासी दूसरे ग्रहों में जा सकते हैं तो अन्तरिक्षवासी भी यहाँ आ सकते हैं। हमें तो यह देखना चाहिये कि क्या हम आत्मा का समीप से अध्ययन कर इस तरह की मान्यताओं के द्वारा कल्याण का कोई उपयुक्त हल निकाल सकते हैं और कोई ऐसा ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, जो जन्म-मृत्यु, लोक-परलोक पुनर्जन्म के संबंध में हमारी जिज्ञासाओं का समाधान कर सकता है?

जिस प्रकार एक देश या एक ही द्वीप के निवासी दूसरे देश या द्वीपों के साथ संबंध जोड़कर प्रगति, समृद्धि, सुविधा और प्रसन्नता के अनेक साधन उपलब्ध करते हैं, निस्सन्देह उसी प्रकार अन्य लोकों के प्रबुद्ध प्राण-धारियों के साथ संपर्क साधकर हम अधिकाधिक समर्थ एवं लाभान्वित हो सकते हैं।


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