उत्तरी ब्राजील में वाइका जाति के आदिवासी पाये जाते हैं। वाइका बहुत असभ्य और जंगली माने हैं पर उनके कुछ प्रयोगों में शिक्षित ब्राजीलवासियों ने भी विलक्षणता और सत्यता अनुभव की।
दो वाइका एपेना नामक एक वृत्त की छाल लेकर उसे एक नली में रखते हैं। नली का एक सिरा एक अपनी नाम में रखता है। दूसरा अपने मुँह में, मुँह वाला उस पर फूँक मारता है, जिससे एपेना दूसरे वाइका की नाक में घुस जाती है। पहले तो उसे चक्कर आते हैं, परंतु बाद में वह स्थिर हो जाता है। इसके बाद उसे ऐसा लगता है, जैसे उसके शरीर में विचित्र शक्ति आ गई हो और वह चिड़ियों की तरह आकाश (अतीन्द्रिय लोक) में उड़ रहा हो। हजारों फुट लंबा और करोड़ों हाथियों की शक्ति वाला अनुभव करता है। जब तन्द्रा टूटती है तो वह हाकुल (महान् आत्माओं) से हुई बातचीत का विवरण सुनाता है। कई बार कई बातें बड़ी विलक्षण और सत्य पाई जाती हैं। ऐसे प्रयोग अब वहाँ के शिक्षित भी करते हैं। उनका विश्वास है कि इस औषधि से मन, शरीर, कोशिका-शक्ति संस्थान से संबंध जोड़ लेता है, उसी से यह विचित्र अनुभूतियाँ होती हैं।