समुद्री वनस्पतियों से दीर्घायु

October 1968

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समुद्री वनस्पतियों से दीर्घायु

अमरीका और योरोप के वैज्ञानिक आजकल समुद्र से ऐसी वनस्पतियाँ तथा पदार्थ ढूँढ़कर निकाल रहे हैं, जो वास्तविक अर्थों में जीवन दाता हैं। गत वर्षों से चिकित्सा जगत में ‘पेंसिलीन’ की धूम रही है और आरम्भ में उससे हजारों ही मरते हुये व्यक्ति बचाये गये थे और अब भी करोड़ों मरणासन व्यक्तियों पर उसका प्रयोग किया जाता है, जिनमें से बहुसंख्यक बच जाते हैं। पर अब वैज्ञानिकों ने ‘पफर’ नामक मछली से जो जहर निकाला है, वह शोषित और नियन्त्रित होने पर अमृत का ही काम करता है। इसी प्रकार वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि मृत शरीरों के सड़ने से समुद्र का जल साधारणतः दूषित हो जाता है, पर यदि स्पञ्ज के पास कोई मृत शरीर सड़ता है तो भी वहाँ का जल गन्दा नहीं होता।

इससे यह अनुमान किया गया है कि स्पञ्ज में कोई रोगाणु नाशक तत्त्व है, जिसकी यदि औषधि रूप में प्रस्तुत किया जायेगा तो कीटाणुओं के कारण उत्पन्न रोगों के लिये वह अत्यंत प्रभावकारी सिद्ध होगा। इस प्रकार मनुष्य ने पृथ्वी पर यदि जाने वाली जड़ी-बूटियों और जीवों को उपयोग में लाकर अब समुद्र की तरफ ध्यान दिया है। संसार में जितने प्रकार के जीवधारी पाये जाते हैं उनमें से 80 प्रति सैकड़ा समुद्र में ही मिलते हैं। यही बात वनस्पतियों के संबंध में भी कही जा सकती है। इसलिये जब खोज करने वाले वैज्ञानिक पूरे उद्योग के साथ समुद्र का मंथन आरम्भ कर देंगे तो न मालूम कैसी-कैसी आश्चर्यजनक औषधियाँ उसमें से मिलने लगेंगी?


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