गौ-संरक्षण और हम

February 1967

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गोरक्षा का महान उद्देश्य पूर्ण करने के लिए गत शरद पूर्णिमा से ‘ह्रीं’ बीज समेत अपना देशव्यापी गायत्री महा पुरश्चरण बड़ी सफलतापूर्वक चल रहा है, प्रति मास 24 करोड़ जप ठीक तरह पूरा हो जाता है। इससे देश में अभीष्ट वातावरण उत्पन्न होने में भारी सहायता मिली है। गोरक्षा अभियान समिति के झगड़े के नीचे अपने परिवार के एक हजार से ऊपर व्यक्ति सत्याग्रह में सम्मिलित हुए हैं तथा अन्य प्रकार से योगदान कर रहे हैं। इस संदर्भ में आन्दोलनात्मक कार्य एक ही झण्डे के नीचे होना उचित था इसलिए जो कार्य अपने परिवार द्वारा हुआ है उसकी अलग से विज्ञप्ति नहीं की गई है। प्रसन्नता की बात है कि तीन महीनों के आन्दोलन से सरकार को थोड़ा झुकने को विवश होना पड़ा। अभी इस संदर्भ में बहुत काम होना बाकी है। गौ-हत्या पर रोक लगाने के लिए अभी और भी प्रगति होना शेष है। 1. चमड़े का त्याग 2. गौ-दुग्ध का सेवन, 3. गो-संवर्धन, 4. गौ-रस का व्यवसाय, 5. वृद्ध एवं अपंग गौ-वंश का पालन जैसे रचनात्मक कार्य किये बिना वास्तविक गौ रक्षा न हो सकेगी। इसके उपर्युक्त वातावरण बनाने में अपना प्रस्तुत महा पुरश्चरण बहुत ही सहायक सिद्ध होगा। इसके अतिरिक्त हमें उपर्युक्त पाँच-सूची रचनात्मक कार्यों को भी हाथ में ले लेना होगा ताकि गौ संरक्षण एवं संवर्धन की ठोस आधार शिला र¹ी जा सके। इन कार्यों में परिवार के सभी धर्म प्रेमियों को उत्वाहपूर्वक भाग लेना चाहिए।


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