आज राजनीति का तो दिवाला निकल चुका है। बड़े-बड़े, अधार्मिक लोगों के हाथ में जाकर निस्तेज हो गये हैं। अब तो सिर्फ एक हृदय-धर्म ही बचा है, जो हमें माता की गोद में मिलता है। बाकी सम्पत्ति-शास्त्र अर्थशास्त्र का नाम धारण कर अनर्थ कर रहा है। इस हृदय-धर्म को ग्रहण करें, तभी दुनिया का उद्धार है।
-काका कालेलकर
भविष्यदर्शी ही नहीं संसार के प्रमुख राजनीतिज्ञ भी भावी संकट की सूचना बराबर देते रहते हैं। स्वर्गीय पं. जवाहर लाल नेहरू कई बार विश्वयुद्ध की संभावना को प्रकट कर चुके थे और इसी आधार पर वह विश्व-शाँति को यथासंभव कायम रखने के लिए तरह-तरह से चेष्टा करते रहते थे। चीन के कर्ता-धर्ता माओत्से तुँग ने दो वर्ष पहले रूस के नेताओं से बातचीत के दौरान में कहा था कि ‘चीन अब भी अपने इस विश्वास पर अटल है कि आगामी दस-पन्द्रह वर्षों में विश्वयुद्ध होना अनिवार्य है’। अब जब कि स्वयं चीन ही इस महा अभियान का होता बनने को कमर कस रहा है, तो उसके टल सकने की आशा की जा सकती है।
गायत्री की उच्चस्तरीय साधना-