जिस प्रकार पानी की वह धारा जिसमें कोई बाँध नहीं है, गाँव के गाँव डुबा देती है और फसलों को नष्ट कर देती है, उसी प्रकार बिना रोक-टोक की लेखनी भी केवल विनाश ही करती है। यदि रोक बाहर से लगाई गई है, तो वह रोक के अभाव से भी अधिक जहरीली है।
-गाँधी जी