नव जीवन (Kavita)

January 1965

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आशायें देतीं नव जीवन, सुख के स्वप्न दिखाती हैं,

उन सपनों की प्राप्ति हेतु ये, साधन भी बतलाती है।

और कहा करतीं, मनुष्य से, बनो साहसी, वीर, उदार!

आशायें जीवन का संबल, मानव मन में करो विचार!!

गहन निराशा, के तुम में भी, आशा दीपक लिये चलो,

दुख दानव से डरो न किंचित उन्नति पथ पर चले

चलो,

समय स्वयं कर देगा तुम पर, धन यश की सुखमय बौछार!

आशायें जीवन का संबल, मानव मन में करो विचार!!

- भगवतीप्रसाद सोनी ‘गुँजन’


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