छात्रों की एक सभा में प्रसिद्ध उपन्यासकार मुंशी प्रेमचन्द का प्रवचन हो रहा था, वे हंस मुख स्वभाव के थे, भाषण में छात्रों को हँसाते जा रहे थे।
जब भाषण समाप्त हो गया तो एक छात्र ने पूछा—”आपको सबसे अधिक पसन्द क्या है?” उत्तर देते हुए उन्होंने तपाक से कहा—हँसी-खुशी का वातावरण। मुँह लटकाए रहने वाले मनहूसों के बीच में तो मेरा दम ही घुटने लगता है।