एक बार राजा जनमेजय ने महर्षि शुकदेव से पूछा—भगवन् किसी मनुष्य के भले-बुरे भविष्य को कैसे जाना जाय? महर्षि ने उत्तर दिया—’जिसके विचार अधोगामी और आचरण निकृष्ट कोटि के होने लगें समझना चाहिये कि उसका दुर्दिन समीप है। श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए अपने को सुधारने के लिए जो लोग प्रयत्न कर रहे हों समझना चाहिए कि इनका भविष्य जल्दी ही उज्ज्वल होगा।’