“युग-निर्माण योजना” पाक्षिक का महत्वपूर्ण प्रकाशन

August 1964

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युग-निर्माण योजना पाक्षिक के जुलाई मास के दोनों अंक निकल गये। यों उसकी निश्चित तारीख 7 और 22 है। पर आरम्भिक अंक प्राथमिक असुविधाओं के कारण 8 दिन लेट निकला ता0 15 को भेजा जा सका और दूसरा अंक 22 की बजाय 26 को गया। इस महीने लेट होने की अंगचन पड़ी। अगले महीने से ठीक समय पर हर पन्द्रहवें दिन निकलता रहेगा ऐसी आशा है।

यह दोनों अंक जिसने भी देखे हैं उनने मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की है। अपने ढंग का यह अनोखा पत्र है। उसने पत्रकारिता के क्षेत्र में नई शैली और नई परम्परा को जन्म दिया है। पाठकों ने इसे बहुत पसन्द किया है और परिवार के विचारकों ने इस प्रयास की महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है कि युग-निर्माण आन्दोलन को सफल बनाने में इस प्रकार के पत्र की नितान्त आवश्यकता थी। इसके बिना नव-निर्माण के कार्य में एक भारी असुविधा और अड़चन बनी रहती।

अखण्ड ज्योति विचार पत्रिका है। उसके द्वारा स्वाध्याय और सत्संग की महान आवश्यकताएँ पूरी होती हैं। इतना बड़ा कार्य वह करती है कि दूसरे अन्य प्रयोजनों की आशा उससे नहीं की जा सकती। युग-निर्माण आन्दोलन के लिए प्रचार पत्र की आवश्यकता थी। उसके लिए एक स्वतन्त्र पत्र ही अपेक्षित था। प्रसन्नता की बात है कि उस आवश्यकता की पूर्ति आरम्भ हो गई। बड़े साइज के 20 पृष्ठों का यह पत्र कलेवर सौंदर्य और पाठ्य सामग्री की दृष्टि से ऐसा सर्वांगपूर्ण निकला है कि अपने मिशन से तनिक भी सहानुभूति रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को इसे देखकर भारी प्रसन्नता अनुभव हुई है।

अखण्ड-ज्योति के प्रत्येक ग्राहक को इसे मँगाना आवश्यक नहीं, पर पढ़ना आवश्यक है। कई सज्जन मिल जुलकर उसकी एक प्रति मँगा सकते हैं और एक-एक दिन एक-एक घर में पहुँचाने की व्यवस्था करके 10—15 सदस्य उससे लाभ उठा सकते हैं। अखण्ड-ज्योति पीढ़ियों तक संग्रह करने की वस्तु है, इसलिये उसे दो सगे भाई भी अलग-अलग मँगावें तो उचित है पर इस पाक्षिक के बारे में वैसी बात नहीं, इसे मिलजुल कर मँगाया जा सकता है। इसे जो अपने पैसे से मँगाये वे अपनी प्रति अन्य सदस्यों को पढ़ने दे सकते हैं। हर हालत में इतना तो होना ही चाहिए कि अखण्ड-ज्योति के प्रत्येक सदस्य को किसी न किसी प्रकार यह पत्रिका पढ़ने को मिलती रहे।

परिवार के सक्रिय कार्यकर्ताओं, शाखा सञ्चालकों और नव-निर्माण आन्दोलन में अभिरुचि रखने वाले प्रत्येक भावनाशील परिजन के लिए यह एक आवश्यक साधन एवं उपकरण की तरह है। इसके सहारे वे अपनी तथा अपने क्षेत्र की गतिविधियों को सुसंचालित रख सकेंगे। इसलिए बिना अनावश्यक विलम्ब लगाये 6) चन्दा भेजकर इसे मँगाना आरम्भ कर दिया जाना चाहिए। परिवार की अग्रिम पंक्ति में गिना जाने वाला कोई भी सदस्य इसे मँगाये बिना रहेगा नहीं ऐसा हमारा विश्वास है।

पाक्षिक में किस प्रकार की पाठ्य सामग्री रहा करेगी, इसका अनुमान जुलाई के दो अंकों को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। इस प्रकार के समाचार, विवरण एवं सुझाव छपने के लिए बराबर भेजे जाते रहने चाहिए। सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देने वाले समाचारों का उसमें बाहुल्य रहेगा। इसलिए पाठक अपने क्षेत्र में हों रही इस प्रकार की प्रवृत्तियों का विवरण समय-समय पर भेजते रह सकते हैं।

(1) सामूहिक रूप से किये गए जन-कल्याण प्रयत्न। (2) आदर्शवाद की प्रेरणा देने वाले विभिन्न व्यक्तिओं के शुभ कर्म। (3) लोक सेवी व्यक्तियों की समाज सेवाओं के कार्यों का वर्णन। (4) युग-निर्माण योजना 108 कार्य-क्रमों में से जहाँ जो प्रवृत्तियाँ चल रही हों उनकी सूचना तथा कार्य पद्धति। (5) कुरीतियों तथा अन्ध-विश्वासों के फेर में उठाई जाने वाली हानियों के समाचार। (6) कुरीतियों के उन्मूलन के लिए उठाए गए साहसपूर्ण कदम। (7) विवाहों में होने वाले अपव्यय तथा दहेज की मार के कारण होने वाले दुःखद दुष्परिणामों की सूचना। (8) धार्मिक समारोहों की संक्षिप्त सूचनायें। (9) गोष्ठियों या समारोहों में किन्हीं मनीषियों द्वारा व्यक्त किये गए मार्मिक विचारों के महत्वपूर्ण अंश। (10) जन समाज की समस्याओं को सुलझाने के लिये उपयुक्त सुझाव।

उपरोक्त प्रकार के समाचार कागज के एक ओर, हाशिया छोड़कर, स्पष्ट अक्षरों में अलग कागज पर भेजने चाहिए। पत्र व्यवहार में ही समाचार लिख देना ठीक नहीं। इससे वह पत्र ही सम्पादन विभाग में पहुँचेगा और समाचार वाला अंश ढूंढ़ने में असुविधा रहेगी।

युग-निर्माण पत्रिका के प्रत्येक सदस्य को उसका संवाद-दाता भी बनकर रहना चाहिए। उस क्षेत्र में जो भी प्रेरणाप्रद, उत्साह वर्धक और दूसरों के लिए मार्गदर्शक कार्य हुए हों या हो रहे हों उनकी सूचना छपने भेजनी चाहिए ताकि वैसे ही कार्य करने के लिए अन्य लोगों को प्रोत्साहन मिले। जिन व्यक्तियों ने अपना जीवन लोकहित के कार्यों में उत्सर्ग किया हो या आदर्श उपस्थित करने वाला कोई विशेष कार्य किया हो उसके समाचार भी इस पत्रिका में भेजे जाने चाहिए। सत्कर्मों की चर्चा पढ़ या सुनकर वैसे ही प्रयास करने के लिए दूसरों को भी प्रोत्साहन मिलता है इसलिये इस पाक्षिक में उसी प्रकार के कार्यों और घटनाओं का विशेष रूप से उल्लेख रहा करेगा।

अच्छे समाचारों के साथ संबन्धित व्यक्तियों के फोटो भी छपते रहें ऐसी व्यवस्था की गई है। अस्तु जहाँ संभव है वहाँ छोटे साइज के बढ़िया कैमरे से खिंचे साफ फोटो भी भेजने चाहिए। घटिया कैमरे से छपे धुंधले फोटो ब्लाक बनाने के काम नहीं आते। अपने सभी सक्रिय कार्य-कर्ताओं के फोटो पत्रिका के कार्यालय में सुरक्षित रखने का विचार किया गया है ताकि समयानुसार उन्हें छापा भी जा सके। इसलिए जब अवसर मिले युग-निर्माण योजना के सदस्यों को अपने पासपोर्ट साइज के छोटे फोटो भिजवा देने चाहिए।

यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी बात को अत्युक्ति के ढंग से, घटा या बढ़ाकर अथवा किसी की निन्दा स्तुति के प्रयोजन से न लिखा गया हो। घटनाओं की सचाई और प्रामाणिकता का ध्यान रखकर ही समाचार भेजा जाय।

व्यक्तिगत साधना या व्यक्तिगत हवन आदि सबका नित्य कर्तव्य है उसके समाचार भेजने की आवश्यकता नहीं है। केवल सामूहिक धर्मानुष्ठानों का प्रकाशन होना ही उचित है। छोटे साप्ताहिक हवन सत्संग जो हर शाख में होते ही रहते हैं उनके समाचार बार-बार भेजने की भी आवश्यकता नहीं, कोई विशेष महत्वपूर्ण बात जिन आयोजनों में हुई हो उन्हीं का समाचार प्रकाशित होना उचित है।

जहाँ-जहाँ अखण्ड-ज्योति पहुँचती है वहाँ उसके ग्राहकों का एक संगठन बन जाना आवश्यक है। इसे युग-निर्माण शाखा संगठन कहा जायगा। इस मास इस तरह के संगठन हर जगह बन जाने चाहिएं। उसके लिए पिछले पृष्ठों पर विशेष रूप से अनुरोध किया जा चुका है। जहाँ संगठन बन जायँ और उसकी सञ्चालक समिति बन जाय, उसकी सूचना छपने के लिये भेज देनी चाहिए।

राष्ट्र का नव-निर्माण करने के लिए—नैतिक एवं साँस्कृतिक पुनरुत्थान के लिए—हमें संगठित होना चाहिए और व्यक्तिगत रोजी-रोटी के कार्यों की तरह ही समाज निर्माण के लिए भी कुछ समय लगाना चाहिए। व्यक्तिगत जीवन को सुसंस्कृत बनाने की साधना सबसे अधिक आवश्यक है। इसे हममें से प्रत्येक व्यक्ति अपना धर्म कर्तव्य समझ कर आरम्भ करे इसी तरह सामूहिक सत्प्रवृत्तियों को बढ़ाने के लिए भी नियमित रूप से कुछ समय देना आरम्भ करें। पिछले जुलाई अंग में इस संबंध में सर्वांगपूर्ण कार्यक्रम छपा है। जेष्ठ के शिविर में हुआ निश्चय अखण्ड-ज्योति परिवार का अगले वर्ष का कार्यक्रम है। उसे पूरा करने के लिए आवश्यक वातावरण बनाने के उद्देश्य से यह पाक्षिक निकालना पड़ा है। अखण्ड-ज्योति के पाठकों को उसे एक व्यावहारिक मार्ग दर्शन के रूप में अपनाना चाहिए।

आशा है युग-निर्माण योजना पाक्षिक नियमित रूप से पढ़ने के लिए प्रत्येक अखण्ड-ज्योति परिवार का प्रत्येक सदस्य इस महीने अपनी कोई व्यवस्था ठीक तरह बना लेगा। अखण्ड-ज्योति और ‘युग-निर्माण योजना’ पाक्षिक दोनों को एक दूसरे की पूरक होने से अपने महान मिशन की पूर्ति में आवश्यक योग-दान मिलेगा, ऐसा विश्वास है।


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