“यदि कोई तुम्हें मारने आये तो हँसते-हँसते मर जाओ इसी का नाम आत्मिक बल या रूहानी ताकत है।”
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तुम्हारे कार्य से किसी को दुख न पहुँचे इसका ज्ञान रखना एवं इसके अनुसार कार्य करना तुम्हारा कर्त्तव्य है। -मा. गाँधी