सर्वश्रेष्ठ धर्म तो वह है कि जो मनुष्य की प्रकृति को ही बदल दे, जो अन्तःकरण के सत्य से आत्मा का अविच्छेद सम्बन्ध कर दे और जो सदा शुद्धि की तरह हो। -गाँधीजी
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“धर्म की नाप तो प्रेम से, दया से और सत्य से होती है। सत्य की कभी हत्या नहीं हो सकती।” -गाँधीजी