Quotation

April 1957

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

माकडौन (उज्जैन) में वैशाख वदी 11, से अमावस तक 25 कुण्डों की यज्ञशाला में 24 लक्ष आहुतियों का विशाल यज्ञ होने की तैयारियाँ हो रही हैं। सभी गायत्री उपासकों को सादर आमंत्रण है।

-ताराचंद पालीवाल

झाँसी में आगामी 17, 18, 19 मई को 21 कुण्डों की यज्ञशाला में बृहद् गायत्री महायज्ञ तथा सवा करोड़ जप होगा। बुन्देलखण्ड गायत्री परिवार सम्मेलन का आयोजन किया गया है। प्राँत भर की गायत्री संस्थाओं को आमंत्रण भेजे जा रहे हैं।

-बालकृष्ण अग्रवाल

निवार नदी तट पर आश्चर्यजनक यज्ञ

कटनी से 10 मील दूर निवार नदी के किनारे महात्मा रघुनाथदास जी घोर जंगल में गायत्री तप करते हैं। उनकी कुटी पर अक्सर सिंह आते हैं और रात-रात भर बैठे रहते हैं। यह महात्मा जी एक बार गायत्री तपोभूमि गये थे और आचार्य जी से मिले थे। उसी समय से वे इतने प्रभावित हुए कि अपने आश्रम पर एक बड़ा गायत्री यज्ञ कराने और आचार्य जी को बुलाने का निश्चय कर लिया। यह उनका संकल्प 27, 28 फरवरी व 1, 2, 3 मार्च को पूर्ण हो गया। उसी घनघोर जंगल में 11 कुण्डों की विशाल यज्ञशाला में सवालक्ष आहुतियों का यज्ञ बड़ी ही सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। आचार्य जी उस समय मथुरा में आवश्यक कारण कार्यवश उपस्थित होने में असमर्थ थे। महात्मा जी ने निश्चय किया कि जब तक आचार्य जी न आ जावेंगे तब तक यह यज्ञ बंद न होगा और वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। इस निश्चय की सूचना तार से आचार्य जी तक दी गई और यज्ञ की तिथि बढ़ा दी गयी। सूचना पाते ही आचार्य जी आये, उत्सव बड़ा सफल रहा। जंगल में ऐसा मंगल देखकर लोगों के हृदय श्रद्धा से गदगद हो रहे थे। प्रबंध तथा आर्थिक व्यवस्था में कटनी, घनश्याम भण्डार के श्री बैजनाथ जी बहरे का सहयोग अतीव सराहनीय रहा।

इस यज्ञ में स्वामी रघुनाथदासजी के तप प्रताप के कई चमत्कार जिन्हें देखकर आश्चर्य से दंग रह जाना पड़ा, दर्शकों ने प्रत्यक्ष देखे। जैसे-जिस समय घी के भण्डार में कमी पड़ गयी इस समय बाबा ने कहा-जरा भी चिंता न करो पाँच मिनट में घी आ रहा है। सचमुच एक सर्वथा अपरिचित व्यक्ति घी के टीन लाकर यज्ञशाला में रख गया। दूसरा ब्राह्मण लोग जातिभेद का अड़ंगा लगाकर इस सार्वजनिक यज्ञ का बहिष्कार कर लौट चले। बाबा ने क्रोध होकर शंख बजाया। तत्काल लाखों मधुमक्खियाँ न जाने कहाँ से आकर उन लौटने वाले ब्राह्मणों को चिपट गई। वे व्याकुल होकर बाबा के पास वापिस लौटे, क्षमा माँगी और यज्ञ में शामिल हुए। तीसरी पूर्णाहुति होते ही बाबा ने सबको कहा अब तुरंत सब लोग यहाँ से चले जाओ। दो घंटे बाद भारी वर्षा होगी। लोगों को विश्वास न होता था। पर जाना ही पड़ा। सचमुच ठीक दो घंटे बाद भारी वर्षा हुई। ऐसी ही और भी अनेकों अन्य छोटी-बड़ी आश्चर्यजनक घटनाएँ घटीं। - रामकृष्ण डेंगरे

महात्मा जी का आदर्श उत्साह

सरायतरीन (मुरादाबाद) क्षेत्र में महात्मा ब्रह्मस्वरूप जी महाराज गायत्री प्रचार में प्राण प्रण के साथ संलग्न हैं। उनके प्रयत्न से इधर कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम सम्पन्न हो चुके हैं। यथा-

1. 10 मार्च को सरायतरीन में श्रीमती भगवती देवी के यहाँ यज्ञ-सम्मेलन तथा ब्रह्मभोज हुआ। सर्वश्री शिवनारायण रस्तोगी, राजेन्द्र जी रोहतगी इंद्र, पं. शंकरलालजी, श्रीमती मगन मूर्ति देवी के प्रवचन हुए। महिला गायत्री परिवार की मंत्री श्रीमती मगनमूर्ति देवी नियुक्त हुइ।

2. ता. 11 को हयात नगर संभल में शाखा स्थापित हुई। सदस्य बने। श्री दुर्गादेवी के भवन पर हवन तथा प्रवचन कार्यक्रम हुआ।

3. ता.12 को श्री राजेन्द्र जी रोहतगी के यहाँ यज्ञ हुआ, जिसमें 150 पुरुषों तथा 50 स्त्रियों ने आहुतियों में भाग लिया। धर्मफेरी के लिए एक टोली निकली जिसने कई मील का दौरा करके 25 सदस्य बनाये एवं एक शाखा स्थापित की।

अब श्री स्वामी ब्रह्मस्वरूपजी महाराज पं. हरिशंकर जी, श्रीमती दुर्गादेवी गौड़, गीता देवी गौड़, अशोक कुमार जी का एक डेपूटेशन गायत्री प्रचार के लिए जिले भर में भ्रमण करने निकला है। जिस समय यह टोली यहाँ से बिदा हुई तो जनता की अपार भीड़ ने उस पर भारी पुष्प वर्षा की। गायत्री माता के जय-जयकार से सारा नगर गूँज रहा था। -इच्छापूर्ण गौड़


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: