पति और पत्नी

May 1946

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(लेखक-प्रो. भगवत दयाल एम. ए.)

सराहनीय पति-

1. वही पति सराहनीय है कि जो अपना चाल चलन दर्पण की तरह स्वच्छ रखता है और जो अपने दिल के आईने पर किसी प्रकार का कोई धब्बा नहीं डालता है।

2. वही पति धन्यवाद योग्य है कि जो कभी पर नारी पर बुरी निगाह-सपने में भी नहीं डालता है।

3. वही पति योग्य है कि जो अपनी पत्नी को अपने से पृथक कोई सत्ता नहीं समझता है।

4. वही पति देवता है जो अपनी स्त्री की बुराई में अपनी बुराई और उसकी बड़ाई में अपनी बड़ाई मानता है और कभी किसी के सामने उसकी निन्दा नहीं करता।

5. वही पति कबीले तारीफ है कि जो अपनी स्त्री को इज्जत और परवाह के साथ रखता है। जो अपनी स्त्री को अपने राज्य की रानी मानता है।

6. वही पति योग्य है कि जो बीमारी की हालत में अपनी स्त्री की सेवा करता है।

7. वही पति-पति है कि जो अपनी स्त्री के सम्बन्धियों का आदर सत्कार करता है। उनकी निन्दा नहीं करता और उनका अपमान नहीं करता यानी किसी भी प्रकार से अपनी स्त्री का दिल नहीं दुखाता है।

8. वही पति आदरणीय है कि जो अपनी संतान पर समदृष्टि रखता है फिर चाहे वह लड़का हो या लड़की। साथ ही जो उनके स्वास्थ्य पर, उनके चाल चलन पर, और उनकी शिक्षा पर पर्याप्त दृष्टि रखता है।

9. वही पति पूजनीय है कि जो अपनी सन्तान के सामने कोई ऐसी बात नहीं कहता कि जिससे उनकी पूज्य माता का अनादर होता हो।

10. वही पति सराहने योग्य है कि जो अपनी भूल मान लेता हो और अपनी गलती पर पछतावा करता हो।

11. वही पति अपनी स्त्री की पति रखता है कि जो उसे हर तरह से तृप्त रखता है।

सराहनीय पत्नी-

12. वही स्त्री धन्य है कि जो अपने पति को ही अपना प्रियतम यानी सबसे ज्यादा प्यारा मानती हो।

13. वही स्त्री देवी है कि जो परमात्मा के बाद अपने पति को ही पूज्य और आदरणीय समझती हो।

14. वह पत्नी सराहने योग्य है कि जो अपनी पति की सेवा हृदय से करती हो और उसकी आज्ञा में श्रद्धा पूर्वक चलती हो।

15. वह पत्नी कल्याण पाती है कि जो अपने को कष्ट देकर भी अपने पति को सुखी बनाने की कोशिश करती हो।

16. वही पत्नी-पत्नी है कि जो अपने माता-पिता के सामने अपने पति का पक्ष लेती हो और उसकी निन्दा सहन न कर सकती हो।

17. वही पत्नी पूज्य है कि जो अपने पति के माता-पिता को अपने माता-पिता के समान पूज्य मानती हो।

18. वही पत्नी सराहनीय है जो अपने पति का कटु वचन सुन कर भी अपना उत्तर मधुर देती है।

19. वही पत्नी गृहलक्ष्मी है कि जो अनुचित फरमाइशें के द्वारा अपने पति को परेशान नहीं करती है।

20. वही पत्नी पतिव्रता है कि जो अपने पति की आज्ञा के बिना किसी से मिलना जुलना पसंद नहीं करती और अपनी समस्त इच्छाओं को पति की इच्छा के आधीन कर देती है।

21. वही पत्नी-तारीफ के योग्य है कि जो अपने शृंगार में आलस्य नहीं करती और जो अपने रूप-शील के द्वारा अपने पति को अपने पर मोहित रखती है।

22. वही पत्नी-साधु है कि जो अपने पति के बल वीर्य की रक्षा करती है और उसे शीघ्र ही चूस कर सुखा डालना नहीं चाहती।

23. वही स्त्री सौभाग्यवती है कि जो अपनी संतान को योग्य बनाने में दत्त-चित्त रहती है।

24. वही पत्नी आदरणीय है कि जो आमद से कम खर्च करती है और धन को जमा करती है।


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