खोया हुआ धन उद्योग से फिर प्राप्त होगा, नष्ट हुआ धन आरोग्य चिकित्सा द्वारा फिर मिलेगा, भूला हुआ ज्ञान अभ्यास से फिर ताजा हो जायेगा परन्तु खोया हुआ समय फिर प्राप्त न होगा। इसलिये एक-एक कण का सदुपयोग करना चाहिए।
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मनुष्य को पहले यह निश्चय कर लेना चाहिए कि मैं क्या नहीं करूंगा। ऐसा निश्चय करने से शेष जो कुछ करना है वह अवश्य दृढ़ता के साथ किया जा सकता है।
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शब्दों में अपार शक्ति है। उनका दुरुपयोग होने से प्राण घातक संकट तक आ सकते हैं। इसलिए अपनी जवान पर पहरा बिठा दो कि एक भी शब्द ऐसा न निकलने पावे जिससे अनिष्ट की संभावना हो।
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इस संसार में परमात्मा के विशिष्ट प्रतिनिधि देवतागण भी मौजूद हैं-वे हैं-सदाचारी एवं परोपकारी सत्पुरुष।