जो अकेला खाता है, वह पाप खाता है।

May 1946

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(ले.- डाक्टर फतह सिंह एम. ए. डी. लिट्)

पिता के क्रोध से नचिकेता यमराज के घर का अतिथि हुआ। मृत्यु के पश्चात उसके माता-पिता ने भी पुत्र वियोग में प्राण त्याग दिया। स्वामी भक्त नौकर पौन्ड्र भी भर गया।

जब नचिकेता यम के यहाँ पहुँचा तो वे उपस्थित न थे। यमदूतों ने उसे यमपुरी में भूखा ही छोड़ दिया। तीन दिन तक बेचारा बालक भूखा प्यासा फिरता रहा। चौथे दिन यमराज ने बालक नचिकेता को बुलाया। “तुम तीन दिन से भूखे प्यासे पड़े हुए हो बालक? ‘हाँ, महाराज!” “अच्छी बात है”- यमराज कुछ गंभीर हो गए बोले-”तुम तीन दिन हमारे यहाँ बिना खाये पिये पड़े रहे अतः मैं तुम्हें तीन वर दूँगा।” माँगों क्या माँगते हो।

नचिकेता डर गया। बोला-क्या जो मैं मांगूंगा, वही दे दीजिएगा?

“हाँ, नचिकेता! डरते क्यों हो? तुम जो चाहो माँगों।

“तो मैं पहली बात यह माँगता हूँ कि मेरे माँ-बाप जीवित हो जाय। दूसरा वर यह चाहता हूँ कि मेरा नौकर जी जाय, तीसरी मेरी प्रार्थना यह है कि मेरे नगर निवासियों को अन्न की कमी न हो, और भूखे लोगों की सेवा कर सकें।

यमराज ने बहुत प्रसन्न होकर कहा-अच्छा ऐसा ही होगा किन्तु बालक! तुमने अभी तक जो कुछ भी माँगा वह दूसरों के लिए माँगा है। अब कुछ अपने लिए माँगो। मैं तुम्हें एक वर और देता हूँ।

नचिकेता ने देर तक सोच कर कहा-”राजन्! आपकी यदि मुझ पर इतनी दया है, तो मुझे यह बता दीजिए कि मौत से छुटकारा कैसे मिले?

यमराज बालक का प्रश्न सुन कर चौंक पड़े। बोले-यदि चाहो तो मैं तुम्हें अमर कर सकता हूँ जिससे राजा होकर तुम खूब सुख भोग सकते हो।

नचिकेता दुःखित होकर बोला-”हे यमराज! मेरे अकेले अमर होने से क्या होगा, जब कि अन्य व्यक्ति मौत के शिकार होते रहेंगे। यदि आप मुझ पर दया दिखाना चाहते हैं तो वही ज्ञान दीजिए जिससे मौत से छुटकारा मिल सकता है?”

यमराज ने इस बार क्रुद्ध होकर कहा-देखो! नचिकेता! यदि अधिक हठ करोगे, तो तुम्हें अभी फाँसी पर लटका दिया जायगा। जिस ज्ञान को तुम सीखना चाहते हो वह एक गुप्त मन्त्र है, जो मनुष्य को नहीं बताया जा सकता।

नचिकेता ने धैर्य से कहा-यमदेव! मैं फाँसी से नहीं डरता। मुझे वही मंत्र बतलाइये। “नचिकेता डटा रहा।

अन्त में यम बोले-नचिकेता मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ। तुम अपने उद्देश्यों तथा कार्यों में दृढ़ हो, आत्म निष्ठ हो। तुम अपने विचारों को डावांडोल नहीं करते हो। इसलिए अवश्य ही तुम उस गुप्त मन्त्र को जानने के योग्य हो। -”यह कहते हुए यम बालक को एकान्त में ले गए और उसे उपदेश करते हुए बोले-तुम्हारे शरीर में ही परमेश्वर है, जरा आँख खोल कर देखो। मुक्ति तुम्हें स्वयं अपने कर्मों से ही प्राप्त होगी।

नचिकेता देर तक सोचता रहा। उसका चेहरा खुशी से दमक उठा।


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