इस संसार में रहने का सच्चा तत्व ज्ञान यह है कि प्रतिदिन कम से कम एक बार खिलखिला कर जरूर हँस लेना चाहिए।
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दूसरों की निन्दा सुनना हानिकारक है। क्योंकि वह झूठी हो तो व्यर्थ ही मन में भ्रम और दुर्भाव पैदा होकर अपनी मनः स्थिति की निंदा करते हैं और यदि वह निन्दा सच्ची हो तो न विचारने लायक तुच्छ मनुष्य के संबंध में विचारने से अपनी समय-क्षति होती है।
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उबलते हुए दूध की तरह उफनने वाले क्रोध को रोकने की जिसमें सामर्थ्य है वही सच्चा सारथी है और तो केवल लगाम पकड़ने वाले हैं।