अपनी ओर से उद्योग की पराकाष्ठा करनी चाहिए पर हार जीत की अधिक महत्व न देना चाहिये।
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यह लोहे का मोरचा (जंग) ही है जो लोहे को खा जाता है। इसी प्रकार पापी के पाप कर्म ही उसे दुर्गति तक पहुँचाते हैं।