Quotation

June 1946

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जिस प्रकार माता अपने छोटे बच्चे को बचपन में असहाय अवस्था में प्रवेश करते हुए देख कर उसे प्रेम और करुणा की दृष्टि से देखती है उसी प्रकार आत्मज्ञानी पुरुष संसार के जीवों को दुख और संकटमय जीवन में से निकलते हुए देखकर उनसे दया, अनुकम्पा, प्रेम-सहानुभूति और सेवा का व्यवहार करता है।


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