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June 1946

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यदि हम यह प्रयत्न करते रहें कि जितने इस समय जानते हैं उससे अधिक जानें तो निश्चय ही थोड़े दिनों में बड़े बुद्धिमान बन सकते हैं।

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जिस प्रकार कोई बुद्धिमान मनुष्य अन्न छोड़कर मिट्टी नहीं खाता, उसी प्रकार कोई ज्ञानवान मनुष्य, सन्मार्ग को छोड़कर कुमार्ग पर नहीं जाता।

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दुनिया में जितने भी पाप और दुख हैं वे सब अज्ञानता के कारण हैं। ऐसा जानकर ज्ञानी पुरुष पापियों और पीड़ितों से घृणा नहीं करता वरन् उन पर दया दृष्टि से देखता है।


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