चार आवश्यकीय प्रार्थनाएं

December 1945

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(1) इस अंक के साथ अधिकाँश पाठकों का चंदा समाप्त हो जाता है। सन् 46 का चंदा मनीआर्डर से भेजने की प्रार्थना है।

(2) पेपर कन्ट्रोल की सरकारी आज्ञाओं के अनुसार आजकल हमें उतना ही कागज प्राप्त होता है जितने कि ग्राहक हैं। इसलिए अपना चंदा दिसम्बर में ही भेज देना चाहिए ताकि जनवरी का ‘मनोविज्ञान अंक’ भेजा जा सके। गत वर्ष जिनका चंदा देर से आया था वे विशेषाँक से वंचित रह गये थे। इस बार भी जो सज्जन देर से चंदा भेजेंगे, वे गत वर्ष की भाँति जनवरी के महत्वपूर्ण अंक से वंचित रह सकते हैं।

(3) वर्ष के बीच के महीनों से चंदे का हिसाब रखने में हमें बहुत कठिनाई होती है। इसलिए जिन महानुभावों का हिसाब वर्ष के बीच में किसी महीने से होता है। उनसे अनुरोध पूर्वक प्रार्थना है कि सन् 46 के शेष महीनों का चंदा भेज दें। जनवरी से पूरे वर्ष का हिसाब रखने में ही सुविधा रहती है।

(4) मनीआर्डर कूपन पर अपना ग्राहक नम्बर और पूरा पता साफ अक्षरों में अवश्य लिखना चाहिए। जो नये ग्राहक हो उन्हें ‘नये ग्राहक’ शब्द अवश्य लिख देना चाहिए। साधारण लिफाफे में नोट आदि भूल कर भी न भेजने चाहिए। क्योंकि ऐसे लिफाफे रास्ते में ही गुम हो जाते है।


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