एक दिन का समय ‘अखण्ड-ज्योति’

December 1945

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(ले.- श्री. सोमेश्वर नाथ भट्टाचार्य एम. ए., कलकत्ता)

अखण्ड-ज्योति के आरम्भ काल से ही उसके संपर्क रखने के कारण-आचार्य जी तथा पाठकों के बीच होने वाले विचार परिवर्तन से निश्चिंत होने के कारण-मुझे मालूम है कि पाठक- अखण्ड-ज्योति तथा आचार्य जी के प्रति कितना प्रगाढ़ आदर तथा सम्मान रखते हैं, कितनी ऊँची दृष्टि से देखते हैं।

जिनका इस अध्यात्मिक प्रकाशन के प्रति प्रेम, अनुग्रह आत्म भाव है, वे अक्सर यह पूछते हैं- “हमारे योग्य कोई हो तो लिखिए।” अखण्ड-ज्योति व्यापारिक नहीं आध्यात्मिक संस्था है। उसकी सेवा यही है कि- सद् विचारों का, सद्ज्ञान का और सदाचार का अधिकाधिक प्रचार एवं प्रसार किया जाय।” इस प्रकार की सहायता एवं सेवा करने से इस संस्थान की उद्देश्य पूर्ति होती है।

अखण्ड-ज्योति पत्रिका को तथा यहाँ से प्रकाशित अन्य साहित्य को अधिक से अधिक व्यक्ति पढ़ें, इस कार्यक्रम में सहयोग देकर अधिक व्यक्ति इस मिशन की सहायता कर सकते हैं। पाठक इसके सम्पादक श्री आचार्य जी का 9 दिसम्बर जन्म दिन है। परिवार के आत्मीयजन उस दिन लिए सद् भावनाएं भेजते हैं। इस अवसर शाब्दिक शिष्टाचार का ही नहीं वरन् का भी परिचय देना चाहिए। ता.9 सक्रिय सहायता के लिए देना चाहिए। उस दिन अखण्ड-ज्योति के नये ग्राहक बढ़ाने के लिए निकलना चाहिए। प्रयत्न करने पर कुछ न कुछ नये ग्राहक अवश्य बढ़ाये जा सकते हैं। नये ग्राहकों का चंदा वसूल करके, अपने चंदे के साथ भेज देना चाहिए। हम लोगों के लिए यह सब बहुत ही सरल है। एक दिन इस धर्म कार्य के लिए दे देने से कोई बड़ा घाटा नहीं आ सकता। पर इससे अखण्ड-ज्योति की शक्ति अनेक गुना बढ़ जाती है।

जो सज्जन पाठक बनते हैं उन्हें अपने आचरण और विचारों में परिवर्तन करते का अलभ्य अवसर मिलता है। लगातार नियमित रूप से जो एक वर्ष अखण्ड-ज्योति को पढ़ लेगा उसके जीवन में सतोगुणी असाधारण परिवर्तन होने अवश्यंभावी हैं। उच्च अध्यात्मिक सत्पुरुष, तपोपूत अन्तःकरण से जिन विचारों को प्रकट करते हैं वे लोगों के मन में तीर की तरह धँस जाते हैं। जीवनों में सात्विक परिवर्तन कराना ब्रह्म यज्ञ है। जो सज्जन अखण्ड-ज्योति के पाठक बढ़ाते हैं वे ब्रह्म यज्ञ का प्रत्यक्ष आयोजन करते हैं। ब्रह्म यज्ञ का पुण्य फल किसी अन्य यज्ञ से कम नहीं है।

अखण्ड-ज्योति को प्रेम करने वाले सज्जनों के लिए यह एक परीक्षा अवसर है। ता. 9 दिसम्बर को आचार्य जी के जन्म-दिवस के उपहार स्वरूप अपना एक दिन का समय देना चाहिए और उस दिन अखण्ड-ज्योति के ग्राहक बनाने का प्रयत्न करना चाहिए।


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