पूरा और खरा काम

August 1945

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

(श्रीमती लिली एल. एलन)

उच्च आदर्शों वाला एक दृढ़ आदमी हमेशा एक खरे आदमी के समान काम करता है। एक किराये पर रखे हुए आदमी के समान नहीं। चाहे वह दिमागी मस्तिष्क का काम करे या हाथ का काम करे, उसका काम उसके जीवन का अंश होता है। वह अपनी कला की अच्छाई को मजदूरी के पैसों या रुपयों से मापकर खराब न करेगा। मुझे इतने पैसे मिलते हैं, वैसा ही मुझे काम करना चाहिये, इस विचार से प्रेरित होकर वह कभी अपनी कारीगरी में बट्टा न लगायेगा। एक दिन का काम उसके लिए बहुत ही आवश्यक और मूल्यवान वस्तु है और इसे वह इस ख्याल से कि क्यों कुछ पैसों के वास्ते अपने पुरुषत्व की महती शक्ति खराब की जाय, श्रेष्ठ से कम दरजे का न करेगा। उसे अपनी उन्नति के लिए न तो किसी स्कीम को तैयार करने की आवश्यकता है और न अपने वेतन को बढ़वाने के लिए किसी से कुछ कहने की। यहाँ भी फिर वही नियम काम करता है कि जो आदमी योग्यता रखता है, उसे पुरस्कार अवश्य मिलना चाहिए।

पूरे और खरे काम के सामने सबको झुकना पड़ता है। जो छोटे से छोटा काम निकम्मा रद्दी अथवा अधूरा किया जा सकता है वही परमात्मा की सेवा या अपना कर्त्तव्य समझ कर सारे चातुर्य तथा कला से अच्छी तरह भी किया जा सकता है।

किसी भी स्त्री या पुरुष के वास्ते इससे अधिक लज्जा और गिरावट की बात क्या होगी कि उसे एक काम को दुबारा करने के वास्ते इसलिए कहा जाय कि उसने अपना काम ठीक तौर से नहीं किया है, अधूरा किया है।

जिस ढंग से कोई काम किया जाता है वह ढंग ही काम करने वाले आदमी के चरित्र को प्रकट करता है, फिर वह काम कुछ भी क्यों न हो।

जो आदमी व्यक्तित्व प्राप्त करने की इच्छा करता है, उसे कभी किसी काम को अधूरा और रद्दी न करना चाहिए। उसका लक्ष्य अपने काम के हर एक भाग को पूर्ण रूप से करना ही होना चाहिये। वह आदमी चाहे किसी भी परिस्थिति में काम क्यों न कर रहा हो उसका पथ-प्रदर्शक नीति वाक्य यही होना चाहिये कि खरा और पूरा काम करो।

जो आदमी अपने मालिक की उपस्थिति में, उसकी हाजिरी में तो काम को लगन के साथ करता है, किन्तु मालिक के पीठ फेरते ही सुस्ती से काम को भद्दा या मामूली करना आरम्भ कर देता है। वह न किसी शक्ति को प्राप्त करता है और न प्रभुत्व को पाता है, ऐसा आदमी इस प्रकार के व्यवहार से अपने लिए एक ऐसी अवस्था पैदा कर लेता है, जो उसे अपने भविष्य पर जरा सा भी विचार करने पर भयभीत कर देगी।

क्या हम अपने लिए अच्छी अवस्थाओं की इच्छा करते हैं? क्या हम अपने आस-पास की परिस्थितियों को पहले से अधिक रोचक तथा सुन्दर देखना चाहते हैं? क्या हम किसी ऐसे उच्च पद को प्राप्त करने की इच्छा करते हैं जिससे कि हमारा जीवन उच्च तथा विशाल बन जाय? यदि हम ये बातें चाहते हैं तो हमें अभी से उनके लिए काम करना चाहिए और अपने आपको उस हालत के योग्य बनाना आरम्भ कर देना चाहिये। हमें अपने जीवन को इतना वास्तविक, इतना पूर्ण, इतना परिश्रमी और इतना ईमानदार बना देना चाहिये कि जिससे हमारा भविष्य, जो कि वर्तमान में ही बन रहा है, कार्य और कारण के सम्बन्ध सूचक नियम के अनुसार हमारे लिए वे सब वस्तुएं लाये, जिनकी हम इच्छा करते हैं।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118