महात्मा जी के गुप्त वचन

January 1943

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

(पं. चुन्नी लाल जी राजपुरोहित, सीहोड़)

कुछ दिन पूर्व मैं तीर्थ यात्रा के लिये गया था। काशी आदि तीर्थों में होता हुआ अयोध्या पुरी पहुँचा। भगवान राम की जन्म भूमि के दर्शनों का पुण्य फल लाभ करने के उपरान्त हम लोग वहाँ से लखनऊ आये। चार बाग से आगे चलकर एक सीता पुर जिला निवासी सज्जन से भेंट हुई। रास्ता चलते उनसे वार्तालाप छिड़ गया। परिचय पूछने पर मालूम हुआ कि उनका नाम रामामल तिवारी है और वे ताम सेन गंज के रहने वाले हैं। साधु संन्यासियों के प्रसंग में चर्चा करते हुये उन्होंने बताया कि यहाँ से 5 मील दूर बादशाह नगर के पास हनुमान गढ़ी है। वहाँ कई साधु ऐसे हैं जो सदैव खड़े रहते हैं। कभी बैठते नहीं। हमारी प्रबल उत्कंठा उनके दर्शन की हुई और हनुमान गढ़ी के लिये चल दिये।

मध्याह्न काल में हम लोग वहाँ पहुँचे और कई महात्माओं के दर्शन करके अपने भाग्य को सराहा। वहाँ एक बड़ी विचित्र घटना घटी वह यह कि एक महात्मा जी जिनके हम दर्शन कर रहे थे देखते देखते हमारी आँखों के सामने अन्तर्धान हो गये। हमारी उत्सुकता बढ़ी और आश्चर्यचकित होकर वही बैठ गये कि इसका रहस्य जाने बिना यहाँ से न जायेंगे। लौटना तो हमें उस दिन था पर अब तो ठहरना ही तय हुआ दिन के 10 बजे से रात के 9 बजे से उसी स्थान पर इस आशा से बैठें रहे कि उन महात्मा जी के फिर दर्शन करके ही यहाँ से उठेंगे।

जब रात्रि हुई 9 बजे तो वे अचानक उसी स्थान पर हमारी आँखों के सामने फिर प्रकट हो गये। उन्होंने पूछा- “तुम लोग यहाँ क्यों बैठे हो, दर्शन कर चुके थे फिर यहाँ रहने का क्या कारण है, जाओ यहाँ से चले जाओ,” हमने उनके चरण पकड़ लिये और कहा भगवन्! आप शंकर रूप हैं। हमें कुछ उद्देश्य दीजिए जिससे अपने जीवन को सफल बना सकें। उन्होंने कृपापूर्वक कई बातें हमें बताई जो सर्व साधारण के सामने प्रकट करने की नहीं हैं ‘अखण्ड ज्योति’ सम्पादक की जो प्रशंसा की उसके बारे में हम प्रकट करना नहीं चाहते उन बातों में सर्व साधारण के काम की एक ही बात थी वह यह कि भविष्य में नाना प्रकार की विपत्तियाँ मनुष्य जाति पर जायेगी। जनसंख्या बहुत घट आयेंगी। सम्वत् 2000 तक बहुत ही कष्ट संसार को रहेंगे। इसके पश्चात अच्छे समय का आगमन आरंभ हो जायेगा। धीरे-धीरे जमाना पलटेगा। पाप घटेगा और पुण्य बढ़ेगा। कुछ वर्षों में इतना परिवर्तन हो जायेगा कि सतयुग जैसा बढ़ने लगेगा। सब लोग सुख शान्ति का जीवन व्यतीत करेंगे।

दूसरे दिन मैं वहाँ से चला आया उन महात्मा जी के वचनों पर मुझे पूर्ण श्रद्धा है। उसी दिन से मैंने अखण्ड ज्योति का पता तलाश करके पत्रालाप करना आरम्भ कर दिया और सत्य ज्ञान को प्राप्त करने लगा। अब मुझे यह पूर्ण विश्वास हो गया है, कि निकट भविष्य में पापों का अन्त होकर पुण्य की प्रचुरता होगी।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles