दिन भर के दुराचारों तथा बुरी आकाँक्षाओं से अलग रहना रात भर के भजन से ज्यादा अच्छा है।
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जिन्होंने शरीर को चकनाचूर कर डाला है। वह वीर नहीं कहलाते हैं। धन्य हैं वे वीर जो जितेन्द्रिय हैं।
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अपने साथ की हुई बुराई बालू पर लिखनी चाहिए और भलाई पत्थर पर।
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जो खुद ही अपना मालिक है वह दूसरों का भी बन जायेगा।
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जब स्वार्थ का अन्त समय आ जाता है तब क्लेश का भी अन्त समय होता है।