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January 1943

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स्वर्ग का रास्ता बड़ी कठिनाई से प्राप्त होता है। धन तो संसार में बहुत से छोड़ जाते हैं, किन्तु नाम तो बिरला ही छोड़ता है।

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किसी दूसरे में दोष बतलाना स्वयं अपने दोषों का ही बतलाना है। लोग समझ लेते हैं कि यह अपने दोषों की दूसरों पर रखकर प्रकट कर रहा है।

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संसार दर्पण के सदृश है, वह तुम्हारे रोने पर रोता है और हँसने पर हँसता है।

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किसी को पीठ पर रखकर पार करने के बजाय तैरना सिखाकर, वह खुद पार हो जाया करें, ऐसा बना दिया हो तो बहुत ही अच्छा है।

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दूसरों के द्वारा तुम अपना आदर चाहते हो, तो पहले दूसरों का आदर करो।

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सूम से सीखो, कि वह श्रेष्ठ को तो पास में रखता है और सड़े गले को फेंक देता है।


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