लार्ड टेनसिन की भविष्यवाणी

January 1943

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सन् 1855 ई में इंग्लैण्ड के संसार प्रसिद्ध महाकवि लार्ड टेनसिन ने एक पद्य द्वारा वर्तमान महायुद्ध के सम्बन्ध में भविष्यवाणी की थी। वह आज बिल्कुल सच हो रही है। आज कल जिन हवाई जहाजों, वर्मो, गैसों का प्रयोग हो रहा है उनका सन् 55 में नाम भी न था फिर भी उस महाकवि ने अपनी दिव्य दृष्टि से भविष्य को ठीक-ठीक जान लिया था। नीचे वह पद्य भविष्यवाणी दी जा रही है।

स्नशह् ढ्ढ स्रद्बश्चश्चद्गस्र द्बठ्ठह्लश ह्लद्धद्ग द्धह्वह्लह्वह्द्ग

स्नशह् ड्डह्य द्धह्वद्वड्डठ्ठ द्गब्द्ग ष्शह्वद्यस्र ह्यद्गद्ग,

स्ड्डख् ह्लद्धद्ग क्द्बह्यद्बशठ्ठ शद्ध ह्लद्धद्ग ख्शह्स्र.

्नठ्ठस्र ड्डद्यद्य ह्लद्धद्ग ख्शठ्ठस्रद्गह्ह्य ह्लद्धड्डह्ल ख्शह्वद्यस्र ड्ढद्ग.

स्ड्डख् ह्लद्धद्ग द्धद्गड्डक्द्गठ्ठज्ह्य द्धद्बद्यद्य ख्द्बह्लद्ध ष्शद्वद्वद्गह्ष्द्ग,

्नह्द्दशह्यद्बद्गह्य शह् द्वड्डद्दद्बष् ह्यड्डद्यद्यह्य.

क्कद्बद्यशह्लह्य शद्ध ह्लद्धद्ग श्चह्वह्श्चद्यद्ग ह्लख्द्बद्यद्बद्दद्धह्ल स्रह्शश्चश्च

ष्ठशख्ठ्ठ ह्लद्धद्गद्बह् ष्शह्यह्लद्यब् ड्ढड्डद्यद्गह्य. द्बठ्ठद्द

स्ड्डख् ह्लद्धद्ग द्धद्गड्डक्द्गठ्ठह्य द्धद्बद्यद्य ख्द्बह्लद्ध ह्यद्धशह्वह्लद्बठ्ठद्द

ञ्जद्धद्गह्द्ग ह्ड्डद्बठ्ठद्गस्र ह्लद्धद्ग द्दद्धड्डह्यह्लद्यब् स्रद्गख्.

स्नह्शद्व ह्लद्धद्ग ठ्ठड्डह्लद्बशठ्ठज्ह्य ड्डद्बह्द्यब् ठ्ठड्डक्द्बद्गह्य,

द्दह्ड्डश्चश्चद्यद्बठ्ठद्द द्बठ्ठ ह्लद्धद्ग ष्द्गठ्ठह्लह्ड्डद्य ड्ढद्यह्वद्ग.

ञ्जद्बद्यद्य ह्लद्धद्ग ख्ड्डह् स्रह्ह्वद्व ह्लद्धह्शद्यद्यद्गस्र ठ्ठश द्यशठ्ठद्दद्गह्

्नठ्ठस्र ह्लद्धद्ग ड्ढड्डह्लह्लद्यद्ग द्धद्यड्डद्दह्य ख्द्गह्द्ग द्धह्वह्द्यद्गस्र

ढ्ढठ्ठ ह्लद्धद्ग श्चड्डह्द्यद्बड्डद्वद्गठ्ठह्ल शद्ध द्वड्डठ्ठ ह्लद्धद्ग द्धद्गस्रद्गह्ड्ड-

ह्लद्बशठ्ठ शद्ध ह्लद्धद्ग ख्शह्द्यस्र.

ञ्जद्धद्गह्द्ग ह्लद्धद्ग ष्शद्वद्वशठ्ठ ह्यद्गह्वह्यद्ग शद्ध ह्लद्धद्ग द्वशह्यह्ल

स्द्धड्डद्यद्य द्धशद्यस्र द्धह्द्गह्लद्धह्वद्य ह्द्गड्डद्यद्वद्बठ्ठ द्बठ्ठ ड्डख्द्ग

्नठ्ठस्र द्मद्बठ्ठस्रद्यब् द्गड्डह्ह्लद्ध ह्यद्धद्ग ढ्ढ ह्यद्यह्वद्वड्ढद्गह्

रुद्गड्डश्चह्ल द्बठ्ठ ह्वठ्ठद्बक्द्गह्ह्यड्डद्य द्यड्डख्.

अनुवादः मैंने भविष्यकाल का स्वप्न देखा जहाँ तक कि मानवी आँख देख सकती हैं, मैंने जगत

की अद्भुत और अनुपम बातें देखी। देखा किः-

आकाश व्यापार सामग्री से भरपूर है और बड़े-बड़े व्यापारिक जहाज बहुमूल्य वस्तुएं जल्द-जल्द एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा रहे हैं।

देखा कि “आकाश शोर गुल कुला हल और भिन्न-भिन्न शब्दों की गूँज से भर गया हैं और भीषण बम वर्षा हो रही है और देखा कि भिन्न-भिन्न देशों के वायुयान जो आकाश मण्डल में गुंथे हुए युद्ध में संलग्न एक दूसरे पर बम बरसा रहे है। जब तक उनकी लड़ाई समाप्त न हुई यह सब कुछ देखा परिणाम यह हुआ कि “अन्त में जंगी बाजे बन्द हो गये और लड़ाई के कपड़े (वर्दियाँ) लपेट कर रख दिये गये, आदमी आदमी बनकर बैठे। आपस में विचार करके उन्होंने संसार को मेल मिलाप और शान्ति का संदेश दिया जहाँ सबकी सम्मति से एक अंतर्राष्ट्रीय राज्य संगठन स्थापित हुआ और धरती माता उस समय सुख की नींद सोई।”

इससे प्रतीत होता है कि इस महायुद्ध के पश्चात् श्रेष्ठ युग आवेगा। लोग द्वेष, कलह, स्वार्थ, अपहरण, शोषण, अत्याचार आदि पापों को छोड़कर परस्पर प्रेमपूर्वक सत्य और न्याय का व्यवहार करते हुए रहेंगे जिससे यह पृथ्वी स्वर्ग के समान आनंददायक हो जावेगी। उस समय को सतयुग कहने में किसी को क्या आपत्ति होगी?


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