अद्भुत भविष्यवाणी

January 1943

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सन् 1555 ई में नोस्त्रदामन ने एक पुस्तक प्रसिद्ध की थी, जिसका शीर्षक था, ‘माइकेल डी नोस्त्रदामस की शताब्दियाँ और सच्ची भविष्यवाणियाँ’ और जिसमें आश्चर्यजनक भविष्य कथनों का संग्रह था। ञ्जद्धद्ग हृद्गख्ह्य क्रद्गक्द्बद्गख् नामक एक नियत कालिक में उसका संक्षिप्त विवरण दिया है। आधुनिक विश्वव्यापी महासमर के सम्बन्ध में इसमें यों कहा है-

“1940 में हमारे सम्मुख एक भीषण संकट पूर्ण दशा उपस्थित होगी, जो 1944 तक प्रचलित होगी। इसी काल में अनेक शासन संस्थाएं मटियामेट हो जायेंगी और विशेष रूप से फ्रान्स में अवस्थित सरकार को भीषण क्षति उठानी पड़ेगी। 1940 में योरोप रणचन्डी की रंगभूमि में परिवर्तित बन जायेगा। जर्मनी एवं इटली में अधिनायकों या तानाशाहों का शासन प्रस्थापित होगा। फ्रान्स शत्रुदल से परास्त हो विरोधियों के चंगुल में फंस जायेगा”।

इस द्रष्टा के सम्बन्ध में उक्त मासिक पत्र में यह जानकारी दी गई है। फ्रान्स के सेंट रेमी नामक स्थान में नोस्त्रदामस का जन्म 1503 ई के दिसम्बर मास के 13वें दिनाँक को हुआ। इनके माता-पिता फ्रेंच-यहूदी वंश के थे। छुटपन से ही विज्ञान, दर्शन एवं वैद्यक शास्त्र में ये दिलचस्पी लेने लगे। वैद्य की योग्यता प्राप्त करने के उपरान्त शीघ्र ही प्लेग का बड़ा भारी प्रकोप हुआ और इन्हें पर्याप्त ख्याति मिल गई। इनका दावा था कि उस भीषण रोग से छुटकारा पाने का उपाय इन्हें विदित था, पर इनकी मृत्यु के उपरान्त वह सुगुप्त उपाय विलुप्त हुआ।

मिलान नामक नगर में सर्वप्रथम इन्होंने अपनी प्रेक्षणीय भविष्यवाणी के कथन का सूत्रपात किया। एक दिन ये नगरी में संचार कर रहे थे कि एक भिक्षुओं का दल इनके सम्मुख आ उपस्थित हुआ। उस दल में (स्नद्गद्यद्बफ् क्कद्गह्द्गह्लह्लद्ब) फैली पेरेत्ती नामक एक युवक संन्यासी था। वह निर्धन माता-पिता का पुत्र था और उस समय उसे तनिक भी प्रसिद्धि नहीं मिली थी। नोस्त्रदामस के साथियों को बड़ा ही आश्चर्य हुआ, जब वे तुरन्त उस अज्ञात युवक संन्यासी के पैरों को पड़कर बड़े आदर व अभिवादन करने लगे। जब उनसे प्रश्न किया कि, एक साधारण व्रती के लिए उसने ऐसा आदर क्यों कर दर्शाया? तो उत्तर मिला मैंने भावी पोपमहोदय को प्रणाम किया है।’ प्रेक्षक एवं अन्य उपस्थित लोगों की राय हुई कि, वे पागल होकर ऐसी बातें कर रहे हैं। पर 1585 में पंचम सेक्टस पोप के नाते (क्कद्गह्द्गह्लह्लद्ब) पेरेत्ती की प्रस्थापना हुई।

असन्देह नोस्त्रदामस ने भूले की हैं, परन्तु हैं वे बहुत ही अल्प कचित पाये जाने वाले गलतियाँ छोटी स्वरूप की है, ऐसा प्रतीत होने में कोई देरी नहीं लगती है। उदाहरणार्थ, उनकी यह भविष्यवाणी कि अगस्त, 1939 में वर्तमान महासंग्राम का सूत्रपात होगा, कुछ ही दिनों से न्यून है। उनका यह भविष्य कथन भी अशुद्ध था कि, 1940 में स्विट्जरलैंड की राह से फ्राँस पर धावा किया जायेगा और जिस जर्मन तानाशाह की बदौलत समूचे योरप में रणचंडी का ताण्डव नृत्य शुरू होगा, उसको उन्होंने ‘हिस्टर’ (॥द्बह्यह्लद्गह्) नाम दिया है। वास्तव में यह है ‘हिटलर’।

वर्तमान महायुद्ध 1944 मैं समाप्त होगा, पर 1945 में पुनरपि फ्राँस एवं इटली के मध्य युद्ध छिड़ जायेगा। इस अवसर पर फ्राँस का नेता नूतन एवं प्रभावशाली नरेश होगा और इन्हीं की तेजस्विता के फलस्वरूप फ्राँस इटली को परास्त कर देगा। फ्राँस की सीमा राइन नदी तक विस्तृत हो जायेगी और वह इटली एवं स्पेन पर शासन प्रस्थापित करेगा।

1566 ई स. मैं जौलाई मास में रात्रि के समय उन्होंने अंतिम भविष्यवाणी की अपने सेवक से, जिसने रात्रि के समय प्रातःकाल तक शुभ रात्रि की आकाँक्षा प्रकट की, उगाहने कहा- नहीं जी, सूर्योदय के समय मैं यहाँ न रहूँगा। उसी रात्रि को निद्रा में उसने शरीर का त्याग किया। -वैदिक धर्म


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