रामकृष्ण परमहंस के उपदेश

January 1943

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सीखते-सीखते समुद्र पार कर सकते हैं। इसी प्रकार ब्रह्मरूपी समुद्र में तैरने के लिये पहले बहुत से निष्फल प्रयत्न करने पड़ेंगे फिर पार हो सकोगे।

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अपने कार्य को सिद्ध करने के लिये बहुत से प्रयत्नों की जरूरत है। दूध में मक्खन है इस तरह चिल्लाने से मक्खन नहीं मिलेगा। दही जमाओगे, तब दूध चलाओगे, तब मक्खन मिला इसी तरह ईश्वर से मिलना है तो आध्यात्मिक साधनों का ज्ञान करते रहो। हे ईश्वर ! हे ईश्वर! कहने से क्या फायदा?

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भंग-भंग कहने से नशा नहीं चढ़ता है। भंग को पीसकर पानी में छानकर पीने से नशा चढ़ता है। हे ईश्वर! हे ईश्वर! कहने से कुछ नहीं ईश्वर की उपासना करते रहोगे तो लाभ होगा।

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मनुष्य का अहंकार दूर होते ही उसे मोक्ष मिलता है।

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जब एक पैना काँटा पैर में लग जाता है तो उसे वैसे ही दूसरे काँटे से निकाला जाता है। फिर दोनों को फेंक देते हैं। इसी तरह हमको सापेक्ष अज्ञान का नाश सापेक्ष ज्ञान होना चाहिए। जब मनुष्य को सर्वोच्च ब्रह्मा का बोध हो जाता है तो वह अज्ञान और ज्ञान दोनों द्वन्द्वों से रहित हो जाता है।

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अगर तुम माया के सच्चे स्वरूप को पहचान लोगे, तो वह तुम्हारे पास से ऐसे भाग जायेगी, जैसे मनुष्य को देखकर चोर भाग जाते हैं।


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